पीजीआई : प्रदेश में पहली बार मैट्रिक्स रिब तकनीक से बना दिया दोनों कान

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-पसली के स्थान पर लगायी टाइटेनियम की प्लेट

 

 

 

लखनऊ ।संजय गांधी पीजीआई के डॉक्टरों ने उन्नाव की 12 साल की किशोरी के जन्मजात दोनों कान की विकृति को पसली से बनाकर सही आकार दिया। अब किशोरी के कान सामान्य आकार जैसे दिखते हैं। पसली के स्थान पर टाइटेनियम से बनी प्लेट लगायी। चिकित्सा भाषा में इसे मैट्रिक्स रिब तकनीक कहते हैं। प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. राजीव अग्रवाल का दावा है कि यूपी में पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने पहली बार तकनीक का प्रयोग किया है। किशोरी के ठीक होने पर छुट्टी कर दी गई है। इस ऑपरेशन में करीब 40 हजार रुपये खर्च आया है।

 

 

 

 

 

 

यह सफल ऑपरेशन प्लास्टिक सर्जन डॉ. राजीव अग्रवाल के निर्देशन में एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. संजय कुमार एवं डॉ. दिव्या श्रीवास्तव व रेजिडेंट डॉ. भूपेश गोगीया ने किया है। कान और नाक के आकार की विकृति को दूर करने में प्लास्टिक सर्जन पसली का उपयोग करते हैं। पसली में मौजूद कार्टिलेज बहुत मुलायम और लचीला होता है। फेफड़ों द्वारा सांस लेने में फैलता और सिकुड़ता है। अभी तक प्लास्टिक सर्जन कान और नाक की विकृति को दूर करने पर पसली वाला हिस्सा निकालने के बाद खाली छोड़ देते थे। इससे सांस लेने आदि की परेशानी की आशंका रहती है लेकिन अब प्लेट लगने के बाद यह समस्या दूर हो गई।
मैट्रिक्स रिब तकनीक इस तकनीक में पावर ड्रील मशीन से सुराख कर पसली निकालते हैं। पसली के खाली वाले स्थान पर टाइटेनियम की की बनी प्लेट लगायी। ऑपरेशन काफी जटिल और जोखिम होता है। पसलियों के करीब में फेफड़े होते हैं। पसली निकालने के दौरान मरीज बेहोशी की हालत में रहता है। सांस लेता रहता है। पसलियां चलती रहती हैं।

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