लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई के डाक्टरों को गॉल ब्लैडर कैंसर पर शोध में सफलता मिली है। उनका शोध पत्र एशिया पैसिफिक जनरल ऑफ कैंसर प्रीवेंशन में प्रकाशित किया गया। संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रोसर्जरी के विभागाध्यक्ष प्रो. राजन सक्सेना और रेडियोथेरेपी की प्रो. सुषमा अग्रवाल ने इस पर एक शोध किया जिसमें यह पाया कि मरीजों की कीमोथेरेपी के बाद सर्जरी कराकर तीन साल तक का जीवन पा सकते हैं। यह शोध गाल ब्लैडर कैंसर के मरीजों के लिए काफी आशाजनक है।
ज्यादातर मरीजों में यह लाइलाज हो जाता है –
सामान्यत: गाल ब्लैडर कैंसर के मरीजों को पेटदर्द, अम्ल अथवा खट्टी डकार की शिकायत होती है और यह काफी समय से गाल ब्लैडर पथरी के कारण होता है। जिससे कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। शोध से पता चला कि गाल ब्लैडर कैंसर गंगा किनारे के बाशिन्दांे में अधिक पाया जाता है, इसलिए यह यहाँ कि महिलाओं में सबसे अधिक होने वाला कैंसर बना है। मरीज अक्सर इस कैंसर के अंतिम चरण में ही डाक्टरों के पास पहुँच पाता है जिसके कारण ज्यादातर मरीजों में यह लाइलाज हो जाता है और मरीज के प्राण बचाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में कीमोथेरेपी ही दिया जा सकता है, जिससे उनके जीवनकाल में 6 से 9 महीने की वृद्धि होती है।