लखनऊ। प्रदेश में अभी आयोडीन के प्रति लोगों को जागरूक करके की आवश्यकता है। इसके लिए मानीटिंरिंग किया जाना चाहिए क्योकि अभी भी प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में आयोडीन की कमी पायी जाती है। यह बात पद्मश्री सम्मान की घोषणा होने के बाद संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में मालीक्यूलर विभाग के डा. एम एम गोडबोले ने कही। डा. गोडबोले उत्तर प्रदेश में पद्मश्री से सम्मानित होने वाले एक मात्र डाक्टर है। डा. गोडबोले आयोडीन की कमी से मस्तिष्क विकास पर प्रभाव के अलावा अन्य बीमारियों पर लम्बे से शोध करके उसके परिणामों से अवगत कराया है।
आयोडीन नमक के प्रति ग्रामीणों में जागरूकता की कमी
डा. गोडबोले ने बातचीत में बताया कि अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में आयोडीन नमक का सेवन नहीं कर रहे है। वह लोग खड़े नमक का प्रयोग धुलने के बाद करते है। उन्होंने बताया कि शोध में आयोडीन की कमी से मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है आैर किन बीमारियों की चपेट में लोग आ जाते है। इसका विस्तार व लम्बे समय तक शोध किया है। डा. गोडबोले ने बताया कि प्रदेश में घेघा रोग समाप्त हो चुका है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में बहराइच, पडरौना, देवरिया आदि क्षेत्रों के लोगों में आयोडीन की कमी पायी जाती है। आयोडीन के प्रति लगातार जागरूकता अभियान के बाद भी अभी प्रदेश में चालीस प्रतिशत लोग आयोडीन के सेवन से वंचित है। अभियान को मानीटरिंग करने की आवश्यकता है कि कहां कौन सा नमक बिक रहा है। डा. गोडबोले ने बताया कि जल्द ही आयरन व आयोडीन युक्त नमक का बाजार में आएंगा। प्रदेश के पीडीएस विभाग दस जिलों में पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है।