लखनऊ। पीजीआई के एक प्रशासनिक अधिकारी के मौखिक तुगलकी फरमान से संस्थान के ही एक ड्राइवर की जान पर बन आई। पीजीआई परिसर के बाहर संस्थान की निशुल्क सेवा बस को लेकर जाकर सवारी उतारने पर हुए हादसे के बाद ड्राइवर को आटो चालकों व राहगीरों ने खूब पीटा। गंभीर रूप से चोटिल बस ड्राइवर को पीजीआई की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। वहीं ड्राइवर को पीटे जाने की घटना से आक्रोशित अन्य चालकों ने शुक्रवार को बसें नहीं चलाईं।
पीजीआई में संविदा पर तैनात बछरावां निवासी ड्राइवर रामचंदर (35) संस्थान में निशुल्क बस (यूपी 32 डीएन 0951) चलाते हैं। पीजीआई प्रशासन के नियमानुसार निशुल्क बस सेवा सिर्फ परिसर के मुख्य गेट के अंदर से लेकर ओपीडी तक ही मरीजों और उनके तीमारदारों को लाएगी। रामचंदर का आरोप है कि संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह ने सुरक्षा में तैनात गार्डों व ड्राइवरों को गुरुवार को मौखिक आदेश दिया कि वह निशुल्क बसों की सवारी को परिसर के बाहर रायबरेली रोड पर स्थित सीएनजी पेट्रोल पंप पर उतारेंगे।
उसी आदेश के तहत वह गुरुवार देर शाम को सवारी भरी बस लेकर पीजीआई परिसर के बाहर गया। जहां पर जल्दबाजी में चलती बस से एक तीमारदार उतरते समय गिर गया। यह देख साथ में सवार अन्य लोग ड्राइवर रामचंदर से गाली-गलौज करते हुए हाथापाई करने लगे। कुछ अन्य राहगीरों ने भी आटो चालकों के साथ उसे पीटना शुरू कर दिया। किसी तरह से रामचंदर उन लोगों से खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन आरोपी उसे पीटते रहे। तभी पीजीआई के कुछ कर्मचारी भी आ गए। यह देख आरोपी भाग गए। चोटिल रामचंदर को लेकर कर्मचारियों ने पीजीआई इमरजेंसी में भर्ती कराया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
नहीं चलाईं बसें, कहा आरोपियों पर हो कार्रवाई
संस्थान के अन्य ड्राइवरों व कर्मचारी नेताओं ने प्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह के मौखिक आदेश को तुगलकी फरमान बताते हुए शुक्रवार को बसें नहीं चलाईं, जिससे मरीजों और तीमारदारों को निशुल्क बस सेवा का लाभ नहीं मिल सका। कर्मचारी नेता सावित्री सिंह, केके तिवारी समेत अन्य ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी ने गलत आदेश किया। चोटिल रामचंदर का आरोप है कि यदि बाहर जाने का आदेश न होता तो परिसर के मुख्य गेट पर ही सवारी उतारी जाती। ब्रेक मारने के दौरान लगे झटके से तीमारदार भी नहीं गिरता। रायबरेली रोड मुख्य मार्ग पर भीड़ की वजह से ब्रेक मारने पर सवारी गिरी।
अधिकारी की मिलीभगत से चल रहे आटो, ई रिक्शा
हाल में ही पीजीआई के प्रशासनिक अधिकारी को संस्थान की सुरक्षा और वाहनों की पार्किंग व स्टैंड का काम देखने का जिम्मा सौंपा गया है। संस्थान के चालकों और कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि संस्थान के यही प्रशासनिक अधिकारी ही परिसर में अपने परिचितों के आटो व ई रिक्शा चलवाते हैं। साथ ही अन्य सवारी वाहनों से सुरक्षा गार्डों द्वारा वसूली करवा रहे हैं। आरोप है कि इसी वजह से प्रशासनिक अधिकारी ने पीजीआई के निदेशक समेत अन्य अफसरों को बिना बताए ही बसों को बाहर ले जाने का मौखिक आदेश दिया, जिससे परिसर में बेरोकटोक चलने वाले आटो व ई रिक्शा चालकों को लाभ मिल सके।