पीजीआई की इमरजेंसी में नहीं मिल रहा मरीजों को इलाज

0
759

पीजीआई की इमरजेंसी में मरीजों को इलाज के लिये भटकना पड़ रहा है। घंटों इंतजार के बाद भी इमरजेंसी की गैलरी से बिना इलाज मरीज लौट रहे हैं। पीजीआई की इमरजेंसी में वर्तमान में करीब ३० बेड हैं। पीजीआई के अधिकारियों ने तत्कालीन सपा सरकार के समय में इमरजेंसी मेडिसिन की व्यवस्था में सुधार करने की बात कही थी। इमरजेंसी में २८ अतिरिक्त बेड जनवरी में बढ़ाये जाने थे, लेकिन अभी तक बेड नहीं बढ़ाये जा सके हैं।

Advertisement

वार्ड तैयार, नहीं शुरू कर रहे इलाज  :

पीजीआई के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की ओर से इमरजेंसी संचालित की जा रही है। इमरजेंसी में लंबे समय से ३० बेड पर ही मरीजों को इलाज दिया जा रहा है। पीजीआई की इमरजेंसी में बेड की संख्या बढ़ाने पर संस्थान के आला अधिकारी काफी समय से जद्दोजहद कर रहे हैं। पर, आज तक बेड नहीं बढ़ाये जा सके हैं। पूर्व निदेशक डॉ. आरके शर्मा ने कुछ वर्ष पहले इमरजेंसी में बेड बढ़वाये थे। वर्तमान में संचालित ३० बेड इमरजेंसी के अलावा एक अन्य वार्ड भी बनकर तैयार हो गया है। लेकिन वहां अभी तक मरीजों का इलाज नहीं शुरू किया गया है। इमरजेंसी से रोजाना करीब १५ से २० मरीज बिना इलाज लौटा दिये जाते हैं।

१५ जनवरी तक बढऩे थे २८ बेड :

पीजीआई की इमरजेंसी में सिर्फ ३० बेड हैं, जिससे मरीजों को कई बार बेड नहीं मिल पाता है। इमरजेंसी के बाहर गैलरी में स्ट्रेचर पर पीजीआई के डॉक्टर मरीजों का इलाज नहीं करते हैं। इलाज में देरी से मरीज इरमजेंसी के बाहर वेटिंग में ही दम तोड़ देते हैं। इमरजेंसी में २८ बेड बढ़ाने की कोशिश चल रही है। फिलहाल १५ जनवरी तक इमरजेंसी में २८ बेड बढ़ाने थे। लेकिन अभी तक बेड नहीं बढ़ सके हैं। इससे मरीजों की परेशानी दूर नहीं हो पा रही है।

नहीं शुरू हुआ इमरजेंसी मेडिसिन का काम  :

इमरजेंसी मेडिसिन विभाग का काम बजट के आभाव में रूका हुआ है। पीजीआई को इस विभाग के लिये १८० करोड़ रुपये की जरूरत है। इस विभाग की घोषाणा मुख्यमंत्री ने तीन साल पहले की थी, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो सका है। संस्थान इसके लिये लोन ले रहा था, लेकिन स्टेट बैंक ने लोन देने से इनकार कर दिया है।

एपेक्स रिफरल ट्रॉमा सेंटर का प्रस्ताव :

इमरजेंसी में जल्द बेड बढ़ाये जायेंगे। बजट का अभाव है। वहीं, पीजीआई में एपेक्स रिफरल ट्रामा सेंटर बनाने का भी प्रस्ताव है, जहां पर रिफरल ट्रॉमा के जटिल मामले हैंडिल किये जायेंगे। इसके लिये दो सौ करोड़ रुपये की आवश्यकता है।

Previous articleअब होगा केजीएमयू की व्यवस्था में परिवर्तन
Next articleबलरामपुर अस्पताल में सुविधा बढ़ाने का भेजा प्रस्ताव

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here