अगर पीजीआई में लिवर प्रत्यारोपण होता तो महादान सफल हो जाता 

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लखनऊ। अगर संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान ने किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय ने दस मार्च को लिवर लेकर प्रत्यारोपण कर दिया तो हो सकता था कि 74 वर्षीय एबी सिंहा का महादान सफल हो जाता, पर प्रदेश में लिवर प्रत्यारोपण करने का दावा करने वाले डाक्टरों ने लिवर लेने से मना कर दिया। केजीएमयू ने नेशनल आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आर्गनाइजेशन (नाटो) को इसकी जानकारी देकर लिवर को दिल्ली ले जाने की अनुमति मिल गयी। दिल्ली के सभी बड़े अस्पतालों के मना करने के बाद ही मैक्स हॉस्पिटल को लिवर दिया गया। जहंा लिवर क्लीनिकल कारणों से प्रत्यारोपण नहीं हो पाया।

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अगर केजीएमयू प्रशासन द्वारा दी गयी जानकारी को सही माना जाए तो 74 वर्षीय एबी सिंहा के लिवरदान के बाद केजीएमयू के तत्काल प्रत्यारोपण के लिए पीजीआई के डाक्टरों से सम्पर्क साधा था, पर यहां के डाक्टरों ने लिवर लेने से मना कर दिया। बताते चले कि यहां पर लिवर प्रत्यारोपण के लिए मरीजों की लम्बी वेंटिग बनी हुई है। इसके बाद नाटो को जानकारी देकर दिल्ली के अस्पताल में प्रत्यारोपण के लिए लिवरदान करने की अनुमति मांगी गयी। लिवर लेकर जाने वाले डा. अभिजीत चंद्रा की माने तो लिवर ले जाने में फ्लाइट की देरी हो गयी, लेकिन नाटो के निर्देश पर दिल्ली के जेपी नोयडा, एम्स दिल्ली, आईएलबीएस दिल्ली आैर जीबी पंत दिल्ली अस्पताल से लिवर प्रत्यारोपण के लिए सम्पर्क साधा गया, पर सभी अस्पतालों ने तत्काल लिवर प्रत्यारोपण करने से इनकार कर दिया।

इसके बाद मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली से सम्पर्क साधा गया, तो वहां पर लिवर लेने के लिए तैयार हो गये। वहां पर पहंुचने पर मरीज की प्रत्यारोपण की तैयारी भी शुरू हो चुकी थी, लेकिन क्लीनिक कारणों से लिवर प्रत्यारोपण नहीं किया जा सका। उन्होंने बताया कि लिवर को ज्यादा देर रखा भी नही जा सकता है। चर्चा है कि अगर पीजीआई में लिवर प्रत्यारोपण हो जाता तो दिल्ली पहुंचने में समय नहीं गवाना पड़ता।

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