लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम ने महिला के पेट से दस किलो का ट¬ूमर निकाल कर चार महीने के गर्भस्थ शिशु की जान बचाने में सफलता पायी है। सर्जरी करने वाले विशेषज्ञ डाक्टरों का कहना है कि सर्जरी में ट्यूमर निकालने में गर्भ बचाना बेहद जटिल कार्य था। यही नही ज्यादा जांच कराने में गर्भस्थ शिशु का विकास प्रभावित हो सकता था, लेकिन वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ अंजू रानी के नेतृत्व में अन्य विभागों के विशेषज्ञ डाक्टरों ने टीम वर्क करते हुए सफलता हासिल की।
पीजीआई की ओपीडी में उन्नाव निवासी निवासी 29 वर्षीय महिला पेट की सूजन के कारण आई थी। वह अपने स्थानीय चिकित्सक से परामर्श कर चुकी थी। उसे बताया गया था कि उसको प्रेगनेंसी के साथ-साथ पेट में बहुत बड़ी गांठ है। इस कारण इसका इलाज पीजीआई में ही संभव था। मरीज को ओपीडी में डा. अंजू द्वारा देखा गया। जांच में उन्होंने यह पाया कि मरीज को दो-तीन महीने की प्रेगनेंसी के साथ-साथ पेट में बहुत बड़ा टयूमर था, जो बच्चेदानी पर भी दबाव डाल रहा था। डाक्टरों का तर्क था कि गांठ में कैंसर भी हो सकता था और यदि गांठ को सर्जरी द्वारा निकाला नहीं जाती है, तो गर्भपात की संभावना भी हो सकती थी। ऐसी स्थिति में जांच कराने पर रेडिएशन के कारण कर में पल रहे बच्चे में विकृति की संभावना भी हो सकती थी। इस विषय पर मरीज और उनके परिजनों से बातचीत की गई और इलाज के लिए उन्हें गर्भपात की भी सलाह दी गई, किंतु रोगी की प्रथम प्रेगनेंसी होने के कारण वह किसी भी कीमत पर इस बच्चे को बचाना चाहती थी। टीम ने भी मरीज और मरीज के परिवार वालों को सारे खतरों से आगाह करते हुए इलाज करने के लिए तैयार किया, जिसमें गर्भपात की संभावना भी शामिल थी । मरीज की मनोदशा देखते हुए डॉ अंजू रानी ने इस जटिल ऑपरेशन की तैयारी शुरू की और कुछ शोध पत्रों का भी अध्ययन भी किया। तत्पश्चात रेडियोलाजी विभाग, गैस्ट्रो सर्जरी विभाग और जेनेटिक विभाग के चिकित्सकों से संपर्क कर आपस में सहमति कर डायग्नोसिस चयनित की गई और हाई रिस्क आपरेशन के लिए तैयारी की गई, क्योंकि टयूमर के साथ प्रेगनेंसी को नियंत्रित करना एक बहुत मुश्किल काम था। इस ऑपरेशन के लिए एनेस्थिसिय भी महत्वपूर्ण था और पूरी सावधानी के साथ डॉ रुचि और डॉ गणेश ने इस विभाग की कमान संभाली । ट्यूमर निकालने में गैस्ट्रो सर्जरी के सीनियर डाक्टर रजनीश कुमार सिंह और उनकी टीम ने महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की। इस प्रकार डॉ अंजू रानी और उनकी पूरी टीम मरीज की प्रेगनेंसी को बचाते हुए ट्यूमर निकालने में सफल रहे। यह ट्यूमर लगभग 30 गुणा 35 सेंटीमीटर और 10.4 किलो का था। ऑपरेशन के पश्चात मरीज की जेनेटिक काउंसलिंग और प्रेगनेंसी अल्ट्रासाउंड भी किया गया, जिसमें बच्चे का विकास सामान्य पाया गया। आज मरीज एसजीपीजीआई की विशेषज्ञों की टीम का धन्यवाद करते हुए गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ अपने घर जाने को तैयार है। आपरेशन टीम में शामिल सदस्य थे। डॉ अंजू रानी सीनियर गाइनेकोलॉजिस्ट, डॉ दीपा कपूर गाइनोकोलाजिस्ट, डॉ रजनीश कुमार सिंह गैस्ट्रो सर्जन, डॉ रुचि कंसलटेंट एनएसथीसिया, गणेश सीनियर रेजिडट डा. शिवकुमारी एवं स्नेहलता स्टाफ नर्स शामिल थी।