फार्मेसी को मिले प्रतिनिधित्व, सुरक्षित, प्रभावी औषधियां उपलब्ध होंगी – सुनील यादव

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*विश्व फार्मेसिस्ट दिवस
* इस वर्ष की थीम –
*Safe and effective medicines for all*
*सभी के लिए सुरक्षित और प्रभावी दवाएं*

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लखनऊ- वास्तव में दवाओ की खोज, विनिर्माण, सही रखरखाव और सही वितरण जनता के स्वस्थ जीवन के लिये आवश्यक है।जीवन की रक्षा औषधियां करती हैं लेकिन अगर औषधियां सही, सुरक्षित और प्रभावी ना हो तो जीवन सुरक्षा की जगह हानि की संभावना होती है। वास्तव में यह विषय अल्मा-अता घोषणा का प्रवेश द्वार है, जहाँ ‘सभी के लिए स्वास्थ्य (Health for All) की परिकल्पना की गई है।

अल्मा-अता की घोषणा को अल्माटी, कजाकिस्तान में 6-12 सितंबर 1978 को अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपनाया गया था।
फार्मेसिस्ट औषधियों का विशेषज्ञ होता है ,फार्मेसिस्ट की जिम्मेदारी है कि आम जन को सुरक्षित और प्रभावी औषधि मिले, इसलिए अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन ऑफ फार्मासिस्ट ने इस वर्ष विश्व फार्मेसिस्ट दिवस की थीम “”Safe and effective medicines for all” (“सभी के लिए सुरक्षित और प्रभावी दवाएं ”) निर्धारित की है ।
फार्मेसिस्ट दिवस की पूर्व संध्या पर देश के 12 लाख फार्मेसिस्टों को बधाई देते हुए आज फार्मेसिस्टों और आम जनता के नाम उत्तर प्रदेश फार्मेसी कॉउंसिल के पूर्व चेयरमैन और राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ के अध्यक्ष, सुनील यादव ने संदेश दिया।

भारत में लगभग कुल 12 लाख डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर, पीएचडी फार्मेसी के साथ फार्म डी की शिक्षा प्राप्त फार्मेसिस्ट हैं। लेकिन उनकी शिक्षा का उचित उपयोग नही हो पा रहा है । फार्मेसी चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ होती है , औषधि की खोज से लेकर , निर्माण, भंडारित करने वितरित करने की पूरी व्यवस्था एक तकनीकी व्यवस्था है, जो फार्मेसिस्ट द्वारा ही की जाती है। चिकित्सालयों में अभी तक भर्ती मरीजों के लिए व्यावहारिक रूप से फार्मेसिस्ट के पद सृजित नही हो रहे ।
ओपीडी में भी मानकों का पालन नही हो रहा । फार्मास्यूटिकल लैब नाम मात्र के हैं, औषधियों के निर्माणशालाओं में भी फार्मेसी प्रोफेशनल के स्थान पर अप्रशिक्षित लोगो से काम लिया जाता है । ड्रग की रेगुलेटरी बॉडी बहुत कमजोर है, मानव संसाधन कम हैं ।

जिसे मजबूत करने की आवश्यकता है। इसलिए लोगो को सुरक्षित और प्रभावी दवाए देने के लिये फार्मेसी को उचित स्थान दिया जाना आवश्यक है। ‘फार्मेसी’लोगो के जिंदगी से जुड़ी है, इसलिए इसे मजबूत किया जाना चाहिए। फार्मेसिस्टों को क्रूड ड्रग का अध्ययन भी कराया जाता है, शरीर क्रिया विज्ञान, फार्माकोलॉजी, विष विज्ञान, ड्रग स्टोर मैनेजमेंट, माइक्रोबायोलॉजी सहित फार्मास्युटिक्स, फार्मक्यूटिकल केमिस्ट्री सहित विभिन्न विषयों का विस्तृत अध्ययन फार्मेसिस्ट को कराया जाता है। औषधि की खोज से लेकर, उसके निर्माण,भंडारण, प्रयोग , कुप्रभाव, दवा को ग्रहण करने, उसके पाचन, प्रभाव और उत्सर्जन (ADME) की पूरी जानकारी केवल फार्मेसिस्ट को होती है , इसलिए औषधियों के विशेषज्ञ के रूप में आज फार्मेसिस्ट, जनता को सेवा दे रहा है।

आम जनता को औषधि की जानकारी फार्मेसिस्ट से ही लेनी चाहिए। जनता को पारिवारिक चिकित्सक की तरह पारिवारिक फार्मेसिस्ट भी रखना चाहिए जिसके पास आपकी पूरी जानकारी होगी। प्रदेश के उप केंद्रों और अस्पताल के वार्डो में फार्मेसिस्ट की नियुक्ति की जानी चाहिए । जिससे गुणवत्तापूर्ण औषधियां मरीजो तक पहुँच सके।

*Key points*

*अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन ऑफ फार्मेसिस्ट के स्थापना दिवस को फार्मेसिस्ट दिवस के रूप में पूरे विश्व मे 25 सितम्बर को मनाया जाता है ।
* भारत मे 2013 में भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया ।
* उत्तर प्रदेश की जनसंख्या के अनुपात में फार्मेसिस्टो की संख्या कम (1:2849)
*माह जनवरी से अगस्त तक राजकीय चिकित्सालयों में 767.98 लाख बाह्य मरीज और 41.7 लाख मरीज भर्ती हुए । 100 बाह्य मरीज (OPD), और 50 बेड पर 1 फार्मेसिस्ट के मानक के अनुसार पदों की संख्या तिहाई है ।
* विकसित देशों में फार्मेसी की नीति बनाने के लिये फार्मास्यूटिकल एडवाइजर की नियुक्ति होती है जबकि भारत और उत्तर प्रदेश में कोई एडवाइजर नही है । फार्मेसी की नीति अन्य लोगो द्वारा बनाई जाती है ।
* प्रत्येक 30 हजार की आबादी पर phc और 1 लाख की आवादी पर और हर ब्लॉक में chc होनी चाहिए । इसके अनुसार 7200 chc और 3572 phc होनी चाहिए जबकि इसके स्थान पर मात्र 3572 phc और 821 chc संचालित है । 70 ब्लॉक में अभी chc नही है ।
* बहुत से विकसित देशों जैसे uk, us, ऑस्ट्रेलिया आदि में चिकित्सकों पर कार्य के दबाव को देखते हुए फार्मेसिस्ट को नुस्खा लिखने का कुछ अधिकार दिया गया है , भारत सरकार ने अपनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में इसे कहा है लेकिन लागू नही किया ।

नाइजीरिया और अन्य कई अफ़्रीकी देशों में दो दवा की दुकान के बीच में कम से कम 500 मीटर की दूरी आवश्यक है , परन्तु भारत के गली कूचे में हर कदम किराने की दुकानों की तरह दवा की दुकानें अवैधानिक तरीके से खुल जाती हैं ।
दवा व्यवसाय जनता के स्वास्थ्य, जीवन, मरण से जुड़ा है इसलिये नियमो और मानक का पालन सख्ती से होना अनिवार्य है ।

प्रस्तुति:
सुनील यादव
पूर्व चेयरमैन
उत्तर प्रदेश फार्मेसी कौंसिल
अध्यक्ष
राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ उत्तर प्रदेश ।

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