लखनऊ। शासन द्वारा स्वास्थ्य महानिदेशालय में निदेशक प्रशासन पद को उच्चीकृत करते हुए अपर महानिदेशक प्रशासन करने का विरोध प्रदेश के पीएमएस संवर्ग के डाक्टरों ने किया। इसके लिए 14 फरवरी को बैठक शासनस्तर पर बुलायी गयी। बैठक में स्वास्थ्य महानिदेशक से ज्यादातर अधिकार लेते हुए निदेशक प्रशासन को दे दिया जाएगा। होने वाले इस निर्णय के विरोध में प्रोविशिंयल मेडिकल सर्विसेज एसोशिएशन ने बैठक की। बैठक में निर्णय लिया गया कि अगर यह शासन पदनाम बदलती है व अधिकारोंं का हनन करती है तो प्रदेश के डाक्टर आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।
..तो महानिदेशालय के सभी निदेशक इनके अधीन होंगे –
पीएमएस की बैठक में राजधानी के सभी अस्पतालों के प्रमुख व अन्य डाक्टर मौजूद थे। बैठक में महासचिव डा. सचिन वैश्य ने कहा कि शासन डाक्टरों को दबाने में जुटी है। 14 फरवरी को होने वाली बैठक में अगर शासन स्वास्थ्य महानिदेशालय के निदेशक प्रशासन के पद को उच्चीकृत करते हुए अगर अपर महानिदेशक (प्रशासन) बना देती है तो महानिदेशालय के सभी निदेशक इनके अधीन होंगे। यहां तक स्वास्थ्य महानिदेशक भी इनके अधीन हो जाएंगे। इसके अलावा होने वाले निर्णय में विभाग के समस्त तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी संवर्गीय पदों के अधिष्ठान, सेवा सम्बधी प्रकरणों, नियुक्ति, कार्रवाई आदि का अंतिम निर्णय अपर महानिदेशक का ही होगा। इसके अलावा प्रोक्योरमेंट से जुड़े कार्य महानिदेशालय स्तर पर भी अंतिम निर्णय अपर महानिदेशक ही लेंगे।
..अभी तक अंतिम निर्णय महानिदेशक के होते आये है –
यही नही सिविल, परिवहन अनुभाग के प्रकरण के साथ ही शासन द्वारा किये गये कार्य आवंटन, विभाजन में महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। अध्यक्ष डा. अशोक यादव ने कहा कि इस होने वाले निर्णय से स्वास्थ्य महानिदेशक से अधिकारों को समाप्त कर दिया जाएगा। जब कि अभी तक अंतिम निर्णय महानिदेशक के होते आये है। निदेशक प्रशासन शासन तैनात करता है आैर उसकी भूमिका अलग होती है। डाक्टरों की दिक्कतों, तैनाती, दवाओं की खरीद व अन्य क्लीनिकल के कार्य महानिदेशक ही अपने स्तर से करता है। क्योंकि वह डाक्टरों की दिक्कतों को समझता है। ऐसे में शासन निदेशक प्रशासन के पद को उच्चस्तरीय करके डाक्टरों पर अंकुश लगाना चाहती है। इसके विरोध में प्रदेश के सभी डाक्टर है।
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