चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने कहा है कि प्रदेश व केन्द्र सरकार कैंसर के बेहतर इलाज के लिए प्रयासरत है। प्रदेश के मेडिकल कालेजों में 26 कैंसर यूनिट स्थापित किये जाएंगे। श्री टंडन शुक्रवार को गोमती नगर स्थित होटल ताज में इंडियन सोसाइटी ऑफ हिमैटोलॉजी एडं ब्लड ट्रांसफ्यूजन, यूरोपियन हिमैटोलॉजी सोसाइटी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार मरीजों को उच्चस्तरीय व सस्ती इलाज के लिए संकल्पबद्ध है। केजीएमयू के हिमैटोलॉजी विभाग के प्रो.ए.के.त्रिपाठी ने कहा कि रक्त कैंसर के कई प्रकार के होते हैं और इनका इलाज भी अलग-अलग विधाओं के माध्यम से ही किया जाता है। मौजूदा समय में आधुनिक तकनीक व दवाओं के चलते रक्त कैंसर का इलाज संभव है। रक्त कैंसर के प्रकारों में से एक एक्यूट लिम्फो ब्लास्टिक ल्यूकिमिया (एएलएल) भारत में अधिक पाया जाता है। इस रक्त कैंसर से पीड़ित बच्चे 80 से 90 प्रतिशत तक ठीक हो जाते है,वहीं बड़ों में 40 प्रतिशत लोग ही स्वस्थ लाभ लेते हैं।
उन्होंने बताया कि इससे पहले रक्त कैंसर इलाज के दौरान कीमोथेरेपी दी जाती थी,जिसका दुष्प्रभाव भी होतो था,लेकिन वर्तमान समय में आधुनिक तकनीक व दवाओं के जरिए कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव से काफी हद तक बचाया जा रहा है। कीमोथेरेपी में दी जाने वाली हाई डोज एंटीबायोटिक दवाओं के साइड इफेक्ट से बचने के लिए इंजेक् शन व दवायें मौजूद हैं। जो की टारगेटेड थेरेपी तकनीक के तहत शरीर में केवल कैंसर कोशिकाओं को ही नष्ट करते हैं। जबकि अन्य कोशिकायें सुरक्षित रहते हैं, जिसकी वजह से मरीज को शारीरिक समस्याओं का सामना नही करना पड़ता है। कैंसर के इलाज में मरीज के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, ताकि कैंसर सेल से शरीर अधिक समय तक लड़ सके,साथ ही अन्य बीमारियों की चपेट में न आयें।
शीघ्र ही भारत में सुविधा उपलब्ध होने की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इलाज के लिए रक्त कैंसर की कारक कोशिकाओं की पहचान कर शरीर से बाहर निकालते हैं और सेलुलर थेरेपी से जीन कैंसर को मोडीफाइ करते हैं और दुबारा मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित कर देते हैं, जिसके बाद मोडीफाइ सेल, कैंसर सेल से लड़ते हैं और उनके दुष्प्रभाव को कम करते हैं।
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