लखनऊ। परंपरात रूप से मास्टेक्टामी तकनीक से ब्रेस्ट सर्जरी में ऊतकों बहुत नुकसान पहुंचने की संभावना होती थी। रिकवरी होने का समय भी ज्यादा होता था। परन्तु अब रोबोटिक मास्टेक्टामी तकनीक से सटीक आैर न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी करने के लिए बेहतर साबित हो रही है।
यह जानकारी एंडोकाइन सर्जरी विभाग के प्रो. आनंद कुमार मिश्रा ने ब्रेस्ट कैंसर पर आयोजित कार्यशाला में दी। उन्होंने बताया कि रोबोटिक मास्टेक्टामी तकनीक से सर्जरी में कम ब्लड लॉस, छोटा चीरा व संवदेनशील ऊतकों का नुकसान बहुत होता है। इस तकनीक से सर्जरी के बाद रिकवरी भी जल्दी होती है आैर ब्रेस्ट में सवेदशीलता भी बनी रहती है। जिससे मरीज मनोवैज्ञानिक तरीके से मनोबल बढ़ता है।
डा.मिश्रा ने बताया कि मास्टेक्टामी तकनीक से सर्जरी में पहले स्तन के अंदर के ऊतकों आैर तंत्रिकाओं के क्षतिग्रस्त होने पर ब्रोस्ट का निर्माण सटीक हो जाता था, लेकिन अक्सर मरीजों को लगता था कि वहां पर सुन्नपन बने रहने की शिकायत रहती थी।
कार्यशाला में 11 युवा रिसर्चस द्वारा मौखिक पुरस्कार पेपर प्रस्तुतियों के साथ हुई। रिसर्च और अभ्यास के कई नए प्रगतिशील क्षेत्र जैरो टार्गेट सर्जरी, और लिम्फेडेगा रोकथाम की योजनाओं प्रतिस्पर्धी रिसर्चस द्वारा प्रस्तुत किया गया और स्तन कैंसर रोगियों की सहायता करने वाली इमर्जिंग तकनीकों के बारे में व्यापक जानकारी दी गयी।
विशेषज्ञों द्वारा मास्टर सर्जिकल वीडियो सत्र प्रदर्शित किए गए, जिसमें विभिन्न विशिष्ट सर्जिकल तकनीकों और चैलेन्जिंग प्रोसीजर जैसे कि लिम्फो-वेनस एनास्टोमोसिस और रोबोटिक मास्टेक्टॉमी को दर्शाया गया। आयोजक सचिव डा. कुलरंजन ने बताया कि 10 से अधिक युवा रिसर्चस ने सर्वश्रेष्ठ पोस्टर प्रस्तुति के लिए सम्मेलन आयोजकों से विभिन्न पुरस्कार जीते।