आठ सौ से ज्यादा दवाओं की कीमतों में हुई दस फीसद की वृद्धि
नई एमआरपी वाली दवाओं पर लागू होगी नई कीमत
लखनऊ । दवा मूल्य निर्धारण नियामक या भारत के ड्रग प्राइस रेगुलेटर ने जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची- नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडिसिन्स के तहत दवाओं की कीमतों में अधिकतम 10 फीसदी की सालाना बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है। ये बढ़ोतरी थोक मूल्य सूचकांक जीडीपी में सालाना बदलाव के मुताबिक की गई है, इसमें कुछ पेनकिलर या दर्दनिवारक दवाएं, एंटीबायोटिक्स और संक्रमण रोधी दवाओं सहित आवश्यक दवाओं की कीमतों में पहली अप्रैल से यह वृद्धि लागू कर दी गयी।
हालाकि यह वृद्धि नए स्टाक पर लागू होगी यानी कैमिस्ट के पास 1 अप्रैल या उससे बाद का नई एमआरपी की जो दवाए होगी उन पर ही बढ़ी हुई दरों पर कीमत ली जा सकेगी।
ड्रग प्राइज रेगुलेटर ने ऐसी जरूरी दवाएं जिनमें संक्रमण यानी इंफेक्शन रोधी दवाएं भी शामिल हैं। दवा विक्रेता एसोसिएशन के मुताबिक यह वार्षिक वृद्धि है जिसमें करीब 800 कम्पनियों की दवाओं की कीमतों में वृद्धि की अनुमति कच्चे माल की बढ़ी हुई कीमतों को देखते हुए दिया गया है।
दवाओं के दाम को लेकर दवा कारोबारियों में पिछले एक सप्ताह से हलचल मची हुई है। अभी हाल ही में बीपी, डाइबिटीज, बुखार जैसी दवाओं के दाम कम होने को लेकर खबर आई थी।
ड्रग प्राइज रेगुलेटर की ओर से की जाती है ।
दवा विक्रेता वेलफेयर समिति के प्रदेश अध्यक्ष विनय शुक्ला का कहना है कि कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए दवा कम्पनियां हर साल रेगुलेटरी से कीमतों में वृद्धि का अनुरोध करती हैं, जिसके बाद ड्रग प्रइज रेगुलेटर अध्यक्ष करने के बाद कीमतों को बढ़ाने की अनुमति प्रदान करते हैं यह वृद्धि उसी के क्रम में हुई है। उनका कहना है कि इस वृद्धि के दायरें मे करीब 800 दवाएं आयी हैं, लेकिन नयी कीमतें नई एमआरपी आने के बाद भी लागू होगी। ग्राहकों को दवाओं पर लिखी एमआरपी के अनुसार ही भुगतान करना होगा।