लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में करीब 30 वर्षों से संचालित निजी मेडिकल स्टोर पर आखिरकार मंगलवार को ताला लग गया। कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद की सख्त आदेश के बाद मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीके ओझा और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुरेश कुमार ने मंगलवार को मेडिकल स्टोर में ताला लगवा दिया, तब कहीं दवाओं की बिक्री पर रोक लग सकती। जल्द से जल्द स्टोर खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया है।
केजीएमयू परिसर में ओपीडी के नजदीक अमा मेडिकल सेंटर 30 वर्षों से चल रहा था। ओपीडी के नजदीक होने से सेंटर में सुबह से दवा के लिए मरीजों की लाइन लग जाती थी। यहां 20 से 26 प्रतिशत कम कीमत पर मरीजों को दवा दिये जाने का दावा था।
केजीएमयू अधिकारियों का कहना है कि गरीब मरीज, डॉक्टर व कर्मचारियों को लोकल परचेज से दवा देने का नियम है। यह जिम्मेदारी भी निजी मेडिकल स्टोर के पास था। आरोप हैं कि दवाएं निर्धारित समय पर नहीं मिल रही थी। इस कारण मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा था। इससे शासन प्रशासन के अधिकारी भी नाराज़ थे।
केजीएमयू की खूब किरकिरी हो रही थी। कर्मचारियों ने कई बार हंगामा व शिकायत की। इसके बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ। आखिरकार कुलपति के निर्देश पर सीएमएस ने सेंटर बंद करने संबंधी आदेश दिया। 22 जुलाई तक सेंटर बंद करना था। इसके बावजूद 29 जुलाई तक जब स्टोर चलता रहा, तो सीएमएस व चिकित्सा अधीक्षक ने सख्ती दिखाते हुए सेंटर में ताला बंद करा दिया।
स्टोर के बाहर दो सुरक्षाकर्मियों को भी बिठा दिया। केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि अब यहां हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) का सेंटर खोला जाएगा। इसमें मरीजों को 60 से 80 फीसदी कम दामों पर दवाएं मिलेंगी।