लखनऊ । महानगर के निजी डायग्नोस्टिक में गलत इंजेक्शन के बाद महिला की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग में चर्चा है कि तमाम शिकायतों के बाद पैथालॉजी व डायग्नोस्टिक सेटरों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इससे लोग हताश हो रहे है, जब कि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि अगर कोई लिखित शिकायत करता है तो कार्रवाई की जाती है लेकिन ज्यादातर लोग जांच के दौरान शिकायत वापस ले लेते है। महानगर में निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में गलत इंजेक्शन लगाने से महिला की मौत के बाद लोगों का कहना है कि अगर स्वास्थ्य विभाग में शिकायत की भी जाए, तो कोई कार्रवाई नहीं होती है। लम्बे समय तक शिकायत पेंडिग में रहती है आैर अगर जांच शुरु हुई तो लम्बी चलती है। अंत में जांच में कोई कार्रवाई नही हो पाती है।
लोगों का मानना है कि ज्यादातर सील किये गये पैथालॉजी, डायग्नोस्टिक सेटर व निजी अस्पताल कुछ महीनों बाद दोबारा शुरू कर दिये गये। हुसैनगंज चौराहे पर स्थित एक निजी अस्पताल में एक युवक का गलत इलाज के बाद मौत हो गयी थी। तीमारदारों ने मरीज के इलाज में अधिक रूपये लेने व डिस्चार्ज के वक्त शुल्क न देने पर बंधक बनाने का आरोप लगाया था। जांच के बाद दोषी बताते हुए उसका अस्पताल सील कर दिया गया था, पर कुछ महीनों पर बाद वह दोबारा खोल दिया गया है। यही नही कई अस्पतालों की जांच के बाद अभी तक रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई ही नही हो सकी है। सीएमअो डा. जीएस बाजपेयी का कहना है कि महानगर के डायग्नोस्टिक सेंटर की अभी कोई लिखित शिकायत नही आयी है।
अगर शिकायत आती है तो कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि ज्यादातर शिकायतों में जांच के दौरान शिकायतकर्ता अक्सर शिकायत वापस ले लेते है। ऐसे में जांच प्रभावित होती है। जब कि काफी संख्या में कार्रवाई भी प्रभावी तरीके से की गयी है।