लखनऊ। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग ने दो रोगियों पर रेजुम तकनीक से प्रोस्टेट के इलाज में भाप का सफ ल प्रयोग किया है। यह मरीज पारंपरिक ट्रांसयूरेथ्रल रीसेक्शन ऑफ द प्रोस्टेट (टीयूआरपी) सर्जरी के काबिल नहीं थे। इस तकनीक में मरीज को न तो चीरा लगता आैर न ही टांका लगता है। इस तकनीक का प्रयोग डॉ. ईश्वर राम ध्याल, विभागाध्यक्ष के मार्गदर्शन में कि या गया। रेज़ुम प्रक्रिया विशेष रूप से उन रोगियों के लिए चुनी गई थी जिन्हें मल्टीपल डिजीज थी, जैसे कि कोरोनरी धमनी रोग, अनियंत्रित मधुमेह और उच्च रक्तचाप, रक्तस्राव विकार, स्ट्रोक और रक्त पतला करने वाली दवाएं जो अन्यथा बंद नहीं की जा सकती थीं।
डॉ. ईश्वर राम ध्याल ने बताया कि रेज़ुम प्रक्रिया एक न्यूनतम इनवेसिव, गैर-सर्जिकल उपचार है, जो प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने (बीपीएच) के लिए प्रयोग किया जाता है। यह नवीन दृष्टिकोण पानी के वाष्प का उपयोग करके प्रोस्टेट ऊतक को सिकोड़ने के लिए करता है, जिससे लक्षणों से प्रभावी राहत मिलती है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। डॉ. ईश्वर राम ध्याल ने बताया कि हम अपने रोगियों के लिए सर्वोत्तम संभव देखभाल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो सर्जरी के लिए अनुपयुक्त हैं। रेज़ुम प्रक्रिया इन रोगियों के लिए एक गेम-चेंजर है। भविष्य में अधिक रोगियों का इलाज करने में मदद करने की उम्मीद करते हैं।
इस सर्जिकल टीम में प्रोफेसर डॉ. आलोक श्रीवास्तव, प्रोफेसर डॉ. संजीत सिंह, डॉ. शिवानी, डॉ. नंदन, डॉ. नितेश, डॉ. प्रवीण, डॉ. हिमांशु, डॉ. अभिषेक शामिल थे। एनेस्थीसिया की ओर से प्रोफेसर डॉ. पीके दास और डॉ. शरीफ उपस्थित थे।