सीटी स्कैन में 400 एक्सरें के बराबर निकलता रेडिएशन : डा. अनित परिहार
एमआरआई व अल्ट्रासाउंड जांच कराना बेहतर
लखनऊ। छोटे बच्चों में ट¬ूमर आदि बीमारी की पहचान के लिए सीटी स्कैन टेस्ट से बचना चाहिए। एमआरआई व अल्ट्रासाउंड जांच से भी बीमारी की पुष्टि हो जाती है। इससे बच्चे को रेडिएशन के खतरों से बचा सकते हैं। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेडियो डायग्नोसिस विभाग के प्रमुख डॉ. अनित परिहार ने दी।
डा. परिहार ने शनिवार को 22वीं वार्षिक राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस इंडियन सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक रेडियोलॉजी को संबोधित कर रहे थे। रेडियोडायग्नोसिस विभाग द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी सांइटिफिक कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यशाला डॉ. अनित परिहार ने कहा कि अगर किसी का सीटी स्कैन होता तो उस मरीज को लगभग 400 एक्सरे के बराबर रेडिएशन मिलता है। बार-बार सीटी स्कैन कराना मरीज की स्वास्थ्य की परेशानियों का कारण भी हो सकता है। कई बीमारियों में सीटी के स्थान पर दूसरी जांच की जा सकती है। यही नहीं बीमारी की सटीक पहचान भी सम्भव है।
डॉ. परिहार ने कहा कि छोटे बच्चों की जांच में सीटी स्कैन से बचना चाहिए। बहुत आवश्यक होने पर सीटी स्कैन कराना चाहिए। अगर बीमारी की जांच आवश्यक है तो सीधे कन्ट्रास्ट दवा देकर जांच करनी चाहिए। इससे हम बच्चे को प्लेन सीटी से मिलने वाले रेडिएशन से बचा सकते हैं। इसके अलावा मस्तिष्क के ट्यूमर का पता लगाने के लिए एमआरआई टेस्ट ही बेहतर विकल्प है। एमआरआई में रेडिएशन का खतरा काफी कम हो जाता है।
उन्होंने बताया कि लिवर में गांठ या ट्यूमर की पुष्टि के लिए अल्ट्रासाउंड जांच कराना सही रहता है। कान्फ्रेंस में डॉ. अजय तरणाथ, डॉ. स्टीवन क्रॉस, डॉ. करुणा शेखदार, डॉ. अजय डी सूजा, डॉ. प्रकाश मासंद ने बाल चिकित्सा न्यूरो रेडियोलॉजी, बाल चिकित्सा कार्डियो-थोरेसिक, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और मस्कुलोस्केलेटल रेडियोलॉजी के महत्वपूर्ण जानकारी दी। डा. प्रकाश ने कहा कि बच्चों में अगर कोई भी लक्षण दिख रहे, तो विशेषज्ञ डाक्टर से तत्काल परामर्श लेना चाहिए।