लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के क्वीन मेरी अस्पताल में डाक्टरों की टीम ने आइसनमेंगर सिंड्रोम नाम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित एक गर्भवती महिला का जटिल सर्जरी करके जीवनदान दिया है।
डाक्टरों का कहना है कि सर्जरी के बाद जच्चा-बच्चा भी पूरी तरीके से स्वस्थ्य है। डाक्टरों का दावा है कि यह दुर्लभ बीमारी 30-40 लाख लोगों में से एक किसी के होती है। इस बीमारी के साथ जटिल सर्जरी करने के बाद जच्चा- बच्चा दोनों स्वस्थ्य है। इलाज करने वाली डाक्टरों की पूरी टीम ने केजीएमयू के इतिहास में एक नया आयाम जोड़ दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का तो कहना है कि इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित महिला को गर्भ धारण करने से बचना चाहिए।
क्वीन मेरी की इमरजेंसी में 25 वर्षीय एक गर्भवती महिला बीते 17 फरवरी को गंभीर हालत में पहुंची। वहां पर मौजूद डॉक्टर सीमा तथा डॉ मोनिका मरीज को भर्ती कर उसका इलाज शुरू कर दिया।
कार्डियक एंड एनेस्थीसिया विभाग के डा. करण कौशिक बताते हैं कि प्रदेश में पहला ऐसा मामला होगा, जिसमें गंभीर हालत के बावजूद प्रसूता तथा नवजात की जान बच सकी है। उन्होंने बताया कि इस मरीज के इलाज व सर्जरी में हमें कई विशेष सावधानियां बरतनी थी। इसके लिए इलाज कर रही पूरी टीम ने गहन अध्ययन किया। फिर सर्जरी प्लान की गयी। सफल सर्जरी के बाद प्रसूता को पांच दिन तक डाक्टरों की देख रेख में सघन निगरानी में रखा गया। 27 फरवरी को महिला के स्वस्थ होने पर जांच करने के बाद दोनों को डिस्चार्ज कर दिया गया।
डॉ. करण कौशिक का कहना है कि व्यवहारिक भाषा में आइसनमेंगर सिंड्रोम कार्डियक की डिजीज कही जाती है। यह बीमारी 30 से 40 लाख में किसी एक को होती है। इस बीमारी में जब हार्ट में छेद हो जाता है और उसका समय रहते सही इलाज व सर्जरी नहीं कराई जाती। इस लापरवाही जिसके बाद हार्ट से फेफड़ों तक रक्त में ऑक्सीजन ले जाने वाली धमनिया खराब हो जाती है। सर्जरी करने वाली डॉ सीमा, डॉ मोनिका, एनेस्थिसिया एवं क्रिटिकल केयर के विभाग प्रमुख डॉ जी पी सिंह, कार्डियक एनेस्थिसिया डा. करण कौशिक, डॉ तन्मय तिवारी,डॉ. जिया अरशद, डॉ रति प्रभा,डॉ अंकुर शामिल रहे।