लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के क्वीन मेरी अस्पताल की इमरजेंसी में भी अगर ट्रामा सेंटर भी तर्ज पर अगर जितने बिस्तर उतने मरीज नियम को लागू कर दिया गया, तो गैर जनपदों से आने वाली महिलाओं को दिक्कत का सामना करना होगा। यहां की इमरजेंसी में दिन रात गम्भीर हालत में गर्भवती के अलावा अन्य बीमारियों की महिला मरीज आती है, जिन्हें स्थानीय स्तर पर इलाज करना मुश्किल हो जाता है।
केजीएमयू रेजीडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन ने ट्रामा सेंटर में स्ट्रेचर पर भर्ती मरीजों को बेहतर इलाज न दे पाने से मना किया था। इसके बाद स्ट्रेचर पर मरीजों की भर्ती बंद होने लगी है। जितने बिस्तर उतने मरीज की तर्ज पर मरीजों को भर्ती करने की कवायद शुरु हो गयी है। अब जल्दी स्ट्रेचर पर मरीज को भर्ती नहीं किंया जा रहा है। केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि एमसीआई के नियमों का पालन भी करना है आैर मरीजों का इलाज भी देखना है, जब कि बताया जाता है कि रेजीडेंटों ने काम का प्रेशर ज्यादा होने के कारण वरिष्ठ डाक्टरों की ड¬ूटी भी रात में लगाने के लिए कहा है।
फिलहाल चर्चा में है कि अगर ट्रामा सेंटर में स्ट्रेचर पर मरीजों को भर्ती करना बंद हो जाता है तो क्वीन मेरी अस्पताल की इमरजेंसी में भी इसका असर होगा। क्वीन मेरी अस्पताल में तो महिला मरीजों की अधिकता के कारण एक बिस्तर पर दो मरीजों को भर्ती किया जाता है। ऐसे में दोनों मरीजों को दिक्कत होती है, लेकिन इलाज के लिए समझौता करते है। कभी- कभी महिला मरीजों को भर्ती ज्यादा होने पर इलाज में दिक्कत भी होती है। बताया जाता है कि यहां पर इमरजेंसी में रात के दौरान रेजीडेंट डाक्टरों की टीम ही लगभग सभी मरीजों को देखती है।
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