लखनऊ। स्वास्थ विभाग गाइड लाइन पर चलता है, वह मरीजों की दिक्कतों को नही देखता है। फिलहाल राजधानी में बाल महिला अस्पतालों में जच्चा बच्चा की कोई फ्रिक नही है। अस्पतालों के परिसर में गन्दगी के कारण मच्छरों की भरमार रहती है। वार्डो में एसी तो लगायी जा रही है लेकिन मच्छरदानी नही के लिए कोई गाइड लाइन नही है इसलिए उसे नही लगाया है। भले ही जच्चा बच्चा को खतरनाक मच्छर अगरबत्ती लगानी पडे।
धीरे धीरे मच्छरदानियां फटने लगी –
कुछ वर्ष राजधानी में तैनात रहे सीएम ओ डा अशोक मिश्र ने बाल महिला अस्पतालों में सभी बिस्तरों मच्छरदानी लगावायी। उनका तर्क था कि मच्छर जनित रोगो से बचाने के लिए मच्छर दानी आवश्यक है। इसके मच्छरदानी खरीदी कर लगाना शुरू भी किया था। इसके बाद धीरे धीरे मच्छरदानियां फटने लगी। नये सीएमओ डा एस एन एस यादव ने बजट से एसी लगवाने में तो कोई कोताही बरत रहे है , लेकिन मच्छरदानी नही लगवाई जा सकी है।
राजधानी में आठ बाल महिला अस्पताल है जो कि सीएम ओ के तहत आते है –
मरीज के तीमारदारों का कहना है वार्ड में सफाई तो होती है, लेकिन परिसर में पीछे की ओर गंदगी रहती है इसके कारण मच्छर पनपते है। मच्छर अगरबत्ती जलानी पडती है। राजधानी में आठ बाल महिला अस्पताल है जो कि सीएम ओ के तहत आते है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है ऐसी कोई गाइड लाइन नही है जिसके तहत मच्छर दानी लगाई जाए।