लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की कार्य परिषद के सदस्यों की संख्या के अधूरी होने की शिकायत राजभवन को एक बार फिर भेजी गयी है। आरोप है कि कार्यपरिषद में कुलाधिपति द्वारा नामित सदस्यों की संख्या कम है। कार्यपरिषद के सदस्यों का दोबारा गठन करने के साथ ही कम सदस्यों के होने दौरान लिए गये फैसलों की समीक्षा करने की मांग की गई है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि कार्यपरिषद में महज कुछ लोग ही एक तरफा फैसले ले रहे हैं। ऐसे में लिए गये निर्णयों में पारदर्शिता होना नामुमिकन है।
24 अगस्त को राज्यपाल को भेजे गए शिकायती पत्र में केजीएमयू के विभिन्न मामलों को विस्तार से बताया गया है। रेजीडेंट भर्ती प्रकरण, पेपर लीक प्रकरण, समूह ग की नियुक्ति प्रकरण की शिकायत की गयी है। पत्र में खास तौर पर केजीएमयू की कार्यपरिषद के लंबे समय से अधूरे होने के मामले में तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है। शासनदेश का हवाला देते हुए बताया गया है कि कुलाधिपति द्वारा नामित दो पूर्व प्रधानाचार्यों (पहले कॉलेज होने की वजह से), दो पूर्व प्राचार्य, कुलाधिपति द्वारा नामित चिकित्सा व्यवसाय से राष्ट्रीय अथवा अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा का एक सदस्य नहीं है। इसके बाद भी कार्यपरिषद एक के बाद एक से एक महत्वपूर्ण फैसले ले रही है। कुलाधिपति की ओर से मनोनीत सदस्यों के होने से कार्यपरिषद के फैसलों की पारदर्शिता बनी रहती है। शिकायतकर्ता ने यह भी मांग की है कि कार्यपरिषद की ओर से लिए गए फैसलों की समीक्षा की जानी चाहिए।
बताते चले कि वर्तमान कार्यपरिषद में अध्यक्ष कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट, प्रतिकुलपति प्रो. मधुमति गोयल हैं। इसके अलावा हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज पंकज कुमार जायसवाल, एम्स निदेशक प्रो. रनदीप गुलेरिया, एसजीपीजीआई के निदेशक प्रो. राकेश कपूर, डीजीएमई डा. केके गुप्ता, डेंटल डीन प्रोफेसर शादाब मोहम्मद, मेडिसिन फैकल्टी डीन प्रोफेसर विनीता दास, फैकल्टी ऑफ पैरामेडिकल डीन प्रोफेसर विनोद जैन के अलावा प्रो. डा. आनंद श्रीवास्तव और प्रो प्रदीप टंडन शामिल हैं। जब कि केजीएमयू के कुलसचिव राजेश कुमार राय ने दावा किया गया है कि सदस्यों के मनोनयन के लिए प्रस्ताव राजभवन भेजा गया है। कुलाधिपति के अनुमोदन के बाद सदस्यों को शामिल किया जाता है। कोरम पूरा होने पर कार्यपरिषद फैसले ले सकती है।
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