लखनऊ – राजधानी की कमान आदित्यनाथ योगी के संभालते ही पुलिस अधिकारियों ने राजधानी में बढ़ते ग्राफ को काबू में करने के लिए मंथन शुरू कर दिया है। इस समय फिसड्डी अधिकारियों हडकम्प मचा है। पुलिस कार्यालय से मिले आंकडों के अनुसार लखनऊ में प्रत्येक दिन नौ और प्रतिवर्ष 3187 आपराधिक वारदात हो रही हैं। बीते करीब 8 वर्षों में 31870 वारदातों ने कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ा दी है। स्थिति यह रही कि वर्ष 2015-16 में नौ वर्ष का रिकॉर्ड तोडते हुए सर्वाधिक वारदातें 5243 वारदातें हुयी। भाजपा की नयी सरकार से लखनऊ की जनता को अपराध के बढ़ते ग्राफ पर लगाम लगाने की उम्मीदें लगा रखी है। सरकार को आगे राजधानी में बढ़ते अपराध को रोकना सबसे बड़ी चुनौती होगी। वहीं योगी सरकार का खौफ साफ पुलिस अधिकारियों में दिखना शुरू हो गया है। रात हो या दिन में पुलिस मॉडल शॉप या सड़कों पर दिखने लगी है।
पिछली सरकार में हत्या, लूट, छेड़खानी, दुष्कर्म समेत अन्य वारदातों से लागों को अपने घरों से बाहर निकलने में भी डर सताने लगा। अपराधी बेखैफ होते गये जिन पुलिस अफसरों के हाथ कानून व्यवस्था की बागडोर शौंपी गयी थी उनमे अधिकांश फिसड्डी साबित दिखी। वर्ष 2008 से 2010 तक 14574 वारदातें हुयी। वर्ष 2011 से 2015 तक 17290 वारदातें हुयी। इन आंकड़ों में दुष्कर्म, हत्या, लूट, छेड़खानी, डकैती और चोरी की घटनाएं प्रमुख रूप से शामिल है। इस दौरान बसपा और सपा की सरकारें रहीं।
अपराधियों पर कसा शिकंजा, रुकेगा अपराध
पूर्व डीजीपी के अनुसार बीते 10 सालों में बढता रहा अपराध और आपराधिक वारदातों को लेकर सबसे पहले समीक्षा करनी होगी। उसके बाद अपराध क्यों बढ़ता गया जिले में टॉप 10 और प्रदेश में टॉप 100 अपराधियों की सूची बनाकर कार्रवाई करने के साथ जेल के अंदर से जघन्य अपराधियों पर कार्रवाई हो। वांछित और कुख्यात अपराधियों की सूची बनाकर गैंगेस्टर और गुंडा एक्ट लगाकर अपराधियों पर समय-समय पर शिकंजा कसने के साथ न्यायालय में विवेचक अपरधियों के केस की सुचारू रूप से पैरवी करके उन्हे कड़ी से कडी सजा मिले। इसके साथ ही दोषी विवेचक के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। ईमानदार और काम करने वाले अधिकारियों की नियुक्ति की जाये।