रामचरित मानस को राष्ट्र ग्रंथ बनाने का लिया है संकल्प : रामभद्राचार्य

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लखनऊ। मैंने रामचरित मानस को राष्ट्र ग्रंथ बनाने का संकल्प लिया है। शीघ्र ही संसद से रामचरित मानस को राष्ट्र ग्रंथ बनाने का प्रस्ताव बहुमत से पारित होगा। यह बात बात श्रीरामकथा आयोजन समिति के तत्वावधान में वरदान खण्ड गोमतीनगर में आयोजित रामकथा के छठे दिन जगद्गु डिग्री रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने कही। उन्होंने कहा कि वह सुबह प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मिलकर आ रहे हैं। वह वचन दे रहे हैं कि अयोध्या में राम मंदिर व लखनऊ में लक्ष्मण मंदिर बनकर रहेगा। कैसे बनेगा यह मुझ पर छोड़ दीजिये।

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स्वामी रामभद्राचार्य के इस कथन से पूरा पण्डाल काफी देर तक तालियों से गूंज गया। इसके पूर्व साध्वी प्राची ने भी जोशीले तरीके से कहा कि जन-जन चाहता है कि राम मंदिर बने आैर राम मंदिर बनना कोई ताकत रोक नहीं सकती है। रामकथा में कथाकार प्रेमभूषण, राज्यमंत्री बेसिक शिक्षा अनूपमा जायसवाल व अवकाश प्राप्त जिला जज राघवेन्द्र पाण्डेय सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि राष्ट्रपति पद के दावेदार राम नाथ कोविद उने अनन्य मित्र व राष्ट्रभक्त हैं। बहुत जल्दी अच्छे दिन आने वाल हैं। 6 दिसम्बर 2018 से पूर्व अयोध्या में राम मंदिर बनेगा। भक्तों से कहा कि मेरा नेतृत्व व आपे व्यक्तितत्व की जरूरत है। लखनऊ की यह कहा इतिहास को लेकर हो रही है। उन्होंने कहा कि राम कौन हैं? राम किसी वर्ग विशेष के देवता व शासक नहीं हैं। जिससे सारे राष्ट्र का मंगल होता है वह राम हैं। “मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सो दशरथ अजिर बिहारी।” लखनऊ में कभी कोई को कभी कोई पार्क बन रहा है लेकिन जिस लक्ष्मण के नाम पर शहर है उसका मंदिर नहीं है। राम के बनवास की लीला क्या है? जो सत्ता के चिपका रहता है वह कभी राष्ट्र का मंगल नहीं कर सकता है। आैरंगजेब ने अपने 13 भाइयों को दीवार में चुनवा दिया। अशोक ने अपने 99 भाइयों का मरवा दिया। राम ने सबका मंगल करने के लिए बनवास स्वीकार किया।

सुमित्रा ने लक्ष्मण से कहा कि “तुमरहि भाग राम बन जाहीं, दूसर हेतु तात कछु नाहीं।” सुमित्रा ने लक्ष्मण को गुरु की तरह उपदेश दिया आैर कहा कि तुम्हारी मां सीता व पिता श्री राम हैं। राम ने जब लक्ष्मण को साथ ले जाने से मना किया तो लक्ष्मण ने कहा कि आपने पतित अहिल्या को तार दिया जबकि पति के साथ विश्वघात करने पर उसको रौरव नरक मिलना चाहिए। इस पर राम ने कहा कि मेरी मां का नाम कौशल्या है। यदि मैं अहिल्या को न तारता तो मेरी मां के नाम के अन्तिम खण्ड का अपमान होता। उन्होंने “कोटि कोटि पतितों को तारा राम मुझको भी तारो, सबरी को तारा अहिलत्या को तारा केवट को तारा राम मुझको भी तारो” व “मोक्ष चाहिये न स्वर्ग धाम चाहिए कौशल्या के लाल मुझे राम चाहिए” भजन सुनाकर सबको भक्ति से सराबोर कर दिया।

लक्ष्मण ने श्री राम से कहा कि आप 14 वर्ष के लिए वनवास जा रहे हैं तो क्या छोटी मां (सुमित्रा) से नहीं मिलेंगे इस पर श्री राम ने कहा कि बड़ी मां शोभा, मंझली मां शील व छोटी मां तेज का प्रतीक हैं। मेरी मझली मां यदि आवेश में आकर मुझे वनवास जाने से मना कर देंगी तो रावण का वध कैसे होगा। सुमित्रा ने लक्ष्मण को ईश्वर के पांच लक्ष्ण बताया है। उन्होंने कहा कि जीवात्मा अणु है आैर इतना सूक्ष्म है कि शरीर से निकलते देखा नहीं जा सकता है जबकि ईश्वर विभू व व्यापक है। जीवात्मा की पत्नी बुद्धि व ईश्वर की पत्नी भक्ति है। जीवात्मा की पत्नी जब बुद्धि जब परमात्मा के चरणों में लग जाती है तो मनुष्य को ईश्वर मिल जाता है। ईश्वर पाने का सबसे सरल उपाय है कि सब छोड़कर मन को प्रभु के चरणों में लगा दिया जाए। “सकल सकृत कर बड़ फल एहू सिय राम पद सहज सनेहू।”

प्रदेश सरकार की राज्यमंत्री बेसिक शिक्षा अनुपमा जायसवाल ने कहा कि जीवन में जब पुण्य का उदय होता है तो स्वामी रामभद्राचर्या जैसे गुरु का दर्शन होता है। स्वामी जब रामकथा सुनाते हैं तो रामजी उनकी वाणी के माध्यम से वहां सपरिवार पधारत हैं। अवकाश प्राप्त जिला जज राघवेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि राम राज्य के संविधान में यह व्यवस्था थी कि वही कानून बने जो जनता के हित में हो। रामकथा में विधायक राकेश सिंह, जयदेव सिंह, हनुमान तिवारी, हरिओम तिवारी, पं धीरेन्द्र मिश्र, रमेशचन्द्र पाठक, मध्य प्रदेश सरकार से अहिल्या बाई पुरस्कार से पुरस्कृत अर्चना पाठक व योगेश पाण्डेय सहित काफी भक्त मौजूद थे।

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