लखनऊ। वायरल हेपेटाइटिस से पीड़ित मरीजों के इलाज में दवाएं कितनी कारगर हो रही हैं। इस पर शोध किया जाएगा।
केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग इसका पता लगाएगा। इसके लिए वायरल मार्कर भी खोजा जाएगा। यह जानकारी केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. अमिता जैन ने सोमवार को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय माइक्रोबायोलॉजी विभाग के 38 वें स्थापना दिवस समारोह में कहीं।
केजीएमयू के ब्राउन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ. अमिता जैन ने कहा कि वायरल हेपेटाइटिस दो टाइप का होता है। पहला जो दूसरे पानी या भोजन से होता है। दूसरा संक्रमित ब्लड से एक से दूसरे को फैलता है। समय पर जांच व इलाज से बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। ऐसे लोगों की पहचान व स्क्रीनिंग जरूरी है। जो लोग वायरल हेपेटाइटिस की चपेट में हैं। उनके परिवार के सदस्यों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। संक्रमित मां से होने वाले शिशु को भी हेपेटाइटिस हो सकता है।
उन्होंने बताया कि नेशनल हेपेटाइटिस प्रोग्राम के तहत विभाग में वायरल हेपेटाइटिस की शोध हो रहा है। जल्द ही नए मार्कर भी तलाशे की संभावना है। इसके साथ ही दवाएं वायरल हेपेटाइटिस पर कितना असरकारक है। इसका भी पता लगाया जा रहा है। यही नहीं लिवर सिरोसिस पीड़ित के फाइब्रोस्कैन रिपोर्ट से मार्कर व दूसरी जांचों से मिलाकर अध्ययन भी किया जाएगा।
दिल्ली स्थित लिवर एवं बाइलरी साइंसेज संस्थान में क्लीनिकल वायरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. एकता गुप्ता ने कहा कि वायरल हेपेटाइटिस गंभीर चुनौती बनी जागरुकता से बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। समय पर बीमारी की पहचान व इलाज जरूरी है। नए मार्कर व दवाओं पर शोध करने की आवश्यकता है।
कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अच्छा काम करने वालों को सम्मानित किया।
माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. शीतल वर्मा ने कहा कि ब्लड से होने वाला हेपेटाइटिस गंभीर होता है। इससे सतर्क रहने की जरूरत है। संक्रमित व्यक्ति के इस्तेमाल ब्लेड से दाढ़ी बनवाने वालों को संक्रमण हो सकता है। कार्यक्रम में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष स्वर्गीय प्रो. आशा माथुर के परिजनों को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में प्रति कुलपति डॉ. अपजीत कौर, रिटायर प्रोफेसर डॉ. अशोक चंद्र, डॉ. विमला वेंकटेश, डॉ. गोपा बनर्जी, डॉ. आरके गर्ग, डॉ. प्रशांत गुप्ता, डॉ. यूएस सिंह, डॉ. आरके कल्याण, डॉ. सुरेश बाबू, डॉ. जेडी रावत, डॉ. विनीता मित्तल, डॉ. सुरेश कुमार, डॉ. अमित आर्या, डॉ.
पारुल, डॉ. सुरुचि, डॉ. श्रुति आदि शामिल थे।