हड़ताल के बाद काम तो कि या, लेकिन काला रिबन बांध कर जताया विरोध
लखनऊ । रेजीडेंट डॉक्टर की हड़ताल समाप्त होने के बाद मरीजों ने शुक्रवार को सकून की सांस ली। किं ग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लोहिया संस्थान सहित पीजीआई की ओपीडी में मरीजों की भीड़ उमड़ी रही। सभी जगह रेजीडेंट डाक्टरों ने कोलकाता में महिला डाक्टर की हत्या व रेप के विरोध में हाथों में काला रिबन बांध कर काम किया।
केजीएमयू की ओपीडी में कुल 6745 मरीजों का इलाज किया गया। सुबह से पंजीकरण के लिए लाइन लगी हुई थी यहां पर लगभग 1741 नए मरीज ओपीडी में डाक्टरों से परामर्श लेने पहुंचे, जबकि 5004 पुराने मरीजों को फालोअप में डाक्टरों ने देखा, जिन मरीजों को ओपीडी के माध्यम से भर्ती होने की आवश्यकता थी। उन्हें भर्ती भी किया गया।ओपीडी में डॉक्टरों के कमरे के सामने भी मरीजों का जबरदस्त दबाव बना हुआ था।
आलम यह था कि मरीजों की ज्यादा संख्या को देखते हुए गैस्ट्रोमेडिसिन, यूरोलॉजी, मेडिसिन, न्यूरोलॉजी समेत अन्य विभागों अतिरिक्त रेजिडेंट डॉक्टर तैनात किए गए थे, ताकि कम समय में अधिक मरीज देखे जा सकें। डॉक्टरों ने नए मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर देखा, जबकि पुराने मरीजों को बाद में।
लोहिया संस्थान की ओपीडी में भी सुबह मरीजों का भीड़ उमड़ी हुई थी, यहां 1021 नये मरीजों को परामर्श दिया गया, जबकि 2297 फालोअप मरीजों को डाक्टर ने परामर्श दिया। कैंसर, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, कॉर्डियोलॉजी समेत दूसरे विभागों में मरीजों की भीड़ इतनी ज्यादा थी कि शाम पांच बजे तक मरीज ओपीडी के बाहर डटे रहे। निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने ओपीडी में पंजीकृत सभी मरीजों को देखने के निर्देश दे रखा था। शुक्रवार को मेडिसिन और फिर नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने परामर्श दिया।
पीजीआई की ओपीडी में 298 नये मरीजों का पंजीकरण किया गया, जबकि 3302 फालोअप मरीजों को डाक्टरों ने परामर्श दिया। शुक्रवार को पंजीकरण हो सका। आज डॉक्टर ने देखा। बिहार, झारखंड से आये मरीज तो रात में पंजीकरण काउंटर के सामने लाइन में लग गये थे।
चक गंजरिया स्थित कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में लगभग 300 नये व पुराने मरीजों को ओपीडी डाक्टरों ने परामर्श दिया।
लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डॉ भुवन चन्द्र तिवारी ने बताया कि ओपीडी सामान्य रूप से संचालित हुई। निर्धारित समय पर आने वाले सभी मरीजों का पंजीकरण किया गया। पंजीकृत सभी मरीजों को ओपीडी में डॉक्टरों ने परामर्श दिया आैर जरूरी जांचें भी हुईं।
केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि हड़ताल के बाद खुले अस्पताल में काफी भीड़ रही। सभी सीनियर व रेजिडेंट डॉक्टर ड्यूटी पर थे। किसी भी मरीज को बिना देखे नहीं लौटाया गया। ओपीडी में नये मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर देखा गया।