लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में बृहस्पतिवार को शुरू हुए रेप्सोडी 2022 में मेडिकोज से लेकर फैकल्टी के डाक्टरों ने मंच पर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। दिन भर चले कार्यक्रमों में मेडिकोज ने लप्प डप्प में दिल की दुकान के मंचन में मेडिकोज कलाकारों ने अपने अभिनय से मंत्रमुग्ध कर दिया। दर्शकों की तालियां बजी तो काफी देर तक बजती रही। डांस से लेकर काफी विद जार्जियन कार्यक्रम को सभी ने सराहा। शाम को दिन भर जटिल सर्जरी से लेकर विभिन्न गंभीर बीमारियों का इलाज करने वाले फैकल्टी के डाक्टरों ने कविता पाठ से दर्शकों वाह- वाह करने को मजबूर कर दिया।
अटल बिहारी कन्वेंशन सेंटर में तीन दिनों तक चलने वाले रैप्सोडी 2022 का बृहस्पतिवार को धूमधाम से आगाज कुलपति प्रो. विपिन पुरी ने केक काट कर किया। कुलपति ने मेडिकोज को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अच्छा डॉक्टर बनने के लिए सभी विषयों का ज्ञान जरूरी है। पढ़ाई से लेकर खेलकूद, गीत-संगीत की जानकारी जरूरी है। इस मौके पर प्रति कुलपति डॉ. विनीत शर्मा, डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. आरएन श्रीवास्तव और डॉ. आरके दीक्षित समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे।
कॉफी विद जॉर्जियन में पीजीआई के पूर्व निदेशक डॉ. राकेश कपूर और डॉ. आरएन श्रीवास्तव ने शामिल हुए। दोनों के छात्रों को सफलता के मंत्र बताये। डॉ. राकेश कपूर ने कहा कि अच्छा डॉक्टर बनने के लिए लगातार अध्ययन आवश्यक है। अगर किसी विषय में कमजोर हैं तो उसके पीछे पड़ना है। डॉक्टरी पेशा ऐसा है जिसमें ताउम्र अध्ययन की आवश्यकता है। क्योंकि नए शोध व तकनीक की जानकारी आप नहीं जानेंगे तो पिछड़ जाएंगे।
डॉ. आरएन श्रीवास्तव ने कहा कि टॉपर तो कोई एक ही हो सकता है। पर, मेहनत सबको करने की जरूरत है। अपने शिक्षकों का सम्मान करें। मेडिकोज एप्रिन के बजाए आधुनिक परिधानों में थे। अजब गांव की गजब सरपंच नाटक ने खूब समा बांधा। इसके अलावा छात्रों ने गीत-संगीत की महफिल सजाई। छात्रों के डांस ने सबका मनमोह लिया। शाम को आयोजित कवि सम्मेलन में फैकल्टी के डाक्टरों ने भाग लिया। सम्मेलन में ट्रामा सर्जरी विभाग के प्रमुख डा. संदीप तिवारी ने कविता पाठ में दस वर्ष पहले का हिदुंस्तान व वर्तमान के हिन्दुस्तान को बखूबी से बताया कि वर्तमान में घटता भ्रष्ट्राचार , पंक्ति के अंतिम में खड़ा व्यक्ति भी खुशहाल… दस वर्ष पहले घटता हुआ सदाचार, बढ़ता हुआ भ्रष्ट्राचार… पर जमकर तालियां बजी। कवि यश मालवीय की कविता दबे पैरों उजाला आ रहा भी सराही गयी। डा. आर के दीक्षित सहित अन्य डाक्टरों का कविता पाठ रात तक चलता रहा।