लखनऊ। किडनी ट्रांसप्लांट प्रोग्राम करीब 7 साल पहले शुरू किया गया था और हर साल करीब 35-40 ट्रांसप्लांट (लाइव डोनेशन) किए जाते हैं। ये ट्रांसप्लांट 1 साल में 95% और 5 साल में 85% की सफलता दर के साथ किए जा रहे हैं।
रायबरेली की रहने वाली 51 वर्षीय मां ने अपनी 39 वर्षीय बेटी को अपनी बाईं किडनी दान की। किडनी को लेप्रोस्कोपिक तरीके से निकाला गया और ऑपरेशन करीब 4 घंटे तक चला। डोनर और प्राप्तकर्ता दोनों फिलहाल स्वस्थ हैं। एसजीपीजीआई के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला आरएमएल सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा संस्थान है। ज्यादातर ट्रांसप्लांट बीपीएल और आयुष्मान योजना का उपयोग करके आर्थिक रूप से वंचित आबादी में किए गए हैं।
इस अवसर पर निदेशक, प्रो. (डॉ.) सी.एम. सिंह ने ट्रांसप्लांट यूनिट की पूरी टीम को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी और भविष्य के लिए निम्नलिखित लक्ष्य भी निर्धारित किए:
1. कैडेवरिक ट्रांसप्लांट को बढ़ावा देना।
2. चुनिंदा रोगियों में रोबोटिक ट्रांसप्लांटेशन।
3. डायलिसिस प्रक्रियाओं की संख्या में वृद्धि करना। (वर्तमान में प्रतिवर्ष 13000-14000 डायलिसिस किए जा रहे हैं)
प्रत्यारोपण टीम में निम्नलिखित शामिल हैं:-
नेफ्रोलॉजी –
प्रो. अभिलाष चंद्र (एचओडी)
प्रो. नम्रता राव
प्रो. मजीबुल्लाह अंसारी
यूरोलॉजी-
प्रो. ईश्वर राम धायल (एचओडी)
प्रो. आलोक श्रीवास्तव
प्रो. संजीत कुमार सिंह
डॉ. प्रशांत
डॉ. दिनेश राहर
डॉ. अंकुश सदोत्रा
एनेस्थीसिया-
प्रो. पी.के. दास
डॉ. शिल्पी मिश्रा
ओटी स्टाफ –
बलवत
लक्ष्मी कांत
आमिर
मीडिया-पीआर सेल
डॉ.आरएमएलआईएमएस