लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के आवाहन पर प्रदेश के रोडवेज कर्मी भी 18 मार्च को एक दिवसीय उपवास रखेंगे और धरना देंगे, धरने के पश्चात मुख्यमंत्री को ज्ञापन का प्रेषण भी किया जाएगा । तैयारी के क्रम में आज लखनऊ के कैसरबाग बस अड्डे पर एक दिवसीय गेट मीटिंग की गई, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के जनपद अध्यक्ष सुभाष श्रीवास्तव ने मीटिंग की अध्यक्षता की । रोडवेज कर्मियों का कहना है कि अभी भी रोडवेज के कर्मचारी राज्य कर्मचारियों से कम महंगाई भत्ता पा रहे हैं जबकि बार-बार इसका समझौता हुआ है । कोविड-19 में रोडवेज के कर्मचारियों ने लाखों लोगों को उनके घरों तक पहुंचाय । मुख्यमंत्री ने स्वयं रोडवेज कर्मियों को विपत्ति का साथी बताया था ,परंतु दूसरे ही दिन प्रदेश के कई मुख्य राजमार्गों पर प्राइवेट वाहनों की अनुमति की बात कह कर वास्तव में मार्गों के निजीकरण की प्रक्रिया जो प्रारंभ की गई वह जनहित में नहीं है । रोडवेज के कर्मचारी लगातार मेहनत कर रहे हैं जिससे निगम फायदे में है, इसके बाद भी राजमार्गों का निजीकरण किया जाना कर्मचारियों के लिए रोष का कारण बन रहा है । रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद अब आंदोलन के लिए तैयार है और राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के साथ उनके घटक के रूप में 18 मार्च को जनपद में प्रदर्शन करेगा और साथ ही पूरे प्रदेश के रोडवेज कर्मी भी प्रदर्शन में भागीदारी करेंगे । ज्ञातव्य है कि परिषद के आव्हान पर लगातार विभिन्न विभागों में गेट मीटिंग की जा रही है जहां पर कर्मचारियों को पंपलेट और पोस्टर के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है । पंपलेट आम जनता के बीच भी बांटते हुए जनता को कर्मचारियों की मांगों से अवगत कराया जा रहा है ।
कैसरबाग बस स्टेशन पर गेट मिटिंग में उपस्थित पदाधिकारी के के सचान, कमल श्रीवास्तव, सर्वेश पाटिल, राजेश चौधरी, सुभाष चन्द्र श्रीवास्तव,मो०अरसद, संजय पांडे,जी पी तिवारी, वीरेन्द्र मिश्र, अजय पांडेय ने कर्मचारियों को संबोधित किया ।
वहीं परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष सुरेश रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा, प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि तैयारी के क्रम में परिषद के अध्यक्ष मंत्री की टीम ने बुंदेलखंड के जनपदों का दौरा किया, झांसी ललितपुर सहित विभिन्न जनपदों के कर्मचारियों की सभा की गई । जनपदों में कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली, वेतन विसंगति, निजीकरण समाप्त करने, आउटसोर्सिंग संविदा कर्मियों को नीति बनाकर समायोजित करने सहित परिषद की मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं , लेकिन सरकार का रवैया अभी भी अड़ियल है ।
परिषद ने कहा कि कर्मचारी बड़े आन्दोलन के लिए तैयार है, जिसके लिए शासन पूरी तरह जिम्मेदार है।