रोबोटिक तकनीक से हुआ पीजीआई में किडनी ट्रांसप्लांट

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लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने प्रदेश में पहली बार रोबोटिक सर्जरी करके गुर्दा प्रत्यारोपण करने में सफलता पाई है। निदेशक प्रोफेसर आरके धीमन के अनुसार मरीज रोबोटिक तकनीक से किये गये प्रत्यारोपण के बाद स्वस्थ है और तेजी से रिकवरी कर रही है। नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफ़ेसर नारायण प्रसाद और उनकी टीम के द्वारा रोबोटिक असिस्टेड ट्रांसप्लांटेशन तकनीक से पहली बार किडनी प्रत्यारोपण किया गया है।

बाराबंकी निवासी 42 वर्षीय महिला 2019 में पीजीआई ओपीडी में किडनी की दिक्कत होने पर आई थी। डॉक्टरों ने जांच के बाद किडनी का काम ना करना बताया था। डॉक्टरों ने परामर्श दिया था कि तत्काल किडनी प्रत्यारोपण नहीं किया जा सकता है।
इसके लिए लगभग तीन साल डायलिसिस पर रखने के बाद  42 वर्षीय महिला मरीज को कोई किडनी डोनेशन करने को तैयार नहीं था। आखिर में उसकी मां ने अपनी किडनी डोनेट करने का निर्णय लिया। इस महिला में पहली बार रोबोटिक सर्जरी  के जरिए किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया गया। प्रोफेसर नारायण प्रसाद बताते हैं कि बाराबंकी निवासी  42 वर्षीय महिला वर्ष 2019 में पहली बार परेशानी होने पर सलाह लेने आयी तो पता चला कि उनकी किडनी काम नहीं कर रही है। उन्होंने परामर्श दिया था कि तुरंत किडनी ट्रांसप्लांट संभव नहीं था जिसके कारण महिला को अप्रैल 2019 से  हीमोडायलिसिस पर रखा गया। घर में और कोई डोनर नहीं मिल रहा था । आखिर में मरीज की मां किडनी देने का निर्णय लिया। मां की उम्र 61 साल के आस-पास है। डॉक्टरों ने मां और बेटी का इम्यूनोलॉजिकल मिलान किया गया, तो देखा गया कि मां की किडनी बेटी से मैच कर रही है। इसके बाद प्रत्यारोपण सर्जरी की योजना बनाई गई थी। पहले ना नुकर करने के बाद समझाने पर परिजनों ने  रोबोटिक असिस्टेड ट्रांसप्लांटेशन के लिए अनुमति दे दी। डॉक्टर प्रसाद और उनकी टीम ने छह अगस्त  को रोबोटिक सर्जरी से किडनी प्रत्यारोपण में सफलता पाई। प्रो नारायण प्रसाद के मुताबिक किडनी ट्रांसप्लांट के बाद  तेज मूत्र उत्पादन और निकासी देख कर तय हो गया है कि प्रत्यारोपण पूरी तरह सफल है। सर्जरी के बाद मरीज की अच्छी रिकवरी हो रही है ।
संस्थान के निदेशक प्रो. आर के धीमान ने रोबोटिक सर्जरी ने सर्जरी के टीम को बधाई देते हुए कहा कि उनके डॉक्टरों ने एक नया आयाम स्थापित किया है।

टीम में थे यह विशेषज्ञ
यूरोलॉजी और रीनल।ट्रांसप्लांटेशन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अनीश श्रीवास्तव ने रोबोटिक सर्जरी के लिए बहुत सावधानी बरतते हुए कार्य योजना बनायी।
नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. नारायण प्रसाद ने मरीज की स्थिति को देखते हुए सर्जरी के तैयारी की।
संस्थान के यूरोलॉजी विभाग में तैनात रह चुके  प्रो. राजेश अहलावत ने सर्जरी के सफलता में अहम भूमिका रही।
प्रो. अनिल अग्रवाल और प्रो.संदीप साहू के नेतृत्व में एनेस्थीसिया टीम ने अपना काम किया।

 

रोबोटिक सर्जरी क्या है और मरीज को क्या होता है फायदा

प्रो. नारायण प्रसाद के अनुसार मरीज को रोबोटिक सर्जरी के बाद कम दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है। उन्होंने बताया रोबोटिक रीनल ट्रांसप्लांट न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक है , जो सर्जन की सर्जरी की सफलता बढ़ाती है और मरीज को सुरक्षित रखती है।
रोबोटिक सर्जरी  पारंपरिक प्रत्यारोपण सर्जरी की तुलना में बहुत छोटे चीरे और कम से कम पोस्ट-ऑपरेटिव दर्द के साथ किडनी प्रत्यारोपण को आसान करती है। उनका कहना है कि ओपेन प्रत्यारोपण में प्रतिरोपित गुर्दा के आसपास एक प्रकार का पानी भरने की आशंका रहती है जो कई बार दिक्कत खड़ी करता है। इस तकनीक के साथ इसकी दिक्कत ना के बराबर रहती है।

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