लखनऊ। अब नयी तकनीक से ब्लड ग्रुपिंग व एंटीबाडी स्क्रीनिंग में नये सब ब्लड ग्रुप निकल रहे है, जिनकी अभी तक स्पष्ट पहचान नहीं हो सकी थी। अभी तक बाम्बे ब्लड ग्रुप के अलावा ए वन ए टू सब ब्लड ग्रुप की पहचान हो चुकी है। यह पहचान किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ब्लड बैंक में की जा रही ब्लड ग्रुपिंग व एंटीबाडी स्क्रीनिंग के दौरान हुई। अगर कुछ नये सब ब्लड ग्रुप विशेषज्ञ के परामर्श के बिना ब्लड ट्रांसफ्यूजन कर दिया जाए तो मरीज को रिएक्शन कर सकता है।
केजीएमयू ब्लड बैक व ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग की प्रभारी डा. तूलिका का कहना है कि ज्यादा ब्लड बैंक व निजी ब्लड बैंकों में ब्लड ग्रुपिंग व एंटीबाड़ी स्क्रीनिंग नहीं हो पाती है। जब कि यह जांच अब वर्तमान में महत्वपूर्ण होती है। जांच में ही बाम्बे ब्लड ग्रुप के अलावा ए वन ए टू सब ब्लड ग्रुप सामने आया था। यह सब काफी रेयर ब्लड ग्रुप होते है। यह सब ब्लड ग्रुप लाखों यूनिट ब्लड ग्रुप की जांच के बाद ही खुलासा हो पाता है। उन्होंने बताया कि ओ पाजिटिव की आटोमैटिक ब्लड ग्रपिंग की जांच के दौरान ए एक्स नये सब ब्लड ग्रुप का भी पता चला है। यह सब ब्लड ग्रुप की गहन जंाच फीनोटाइप करने पर पता चलता है कि यह ए ब्लड ग्रुप को चढ़ाया जा सकता है, लेकिन यह सब ब्लड ग्रुप ओ पाजिटिव को नहीं चढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार फैक्टर आरएच पाजिटिव व आरएच निगेटिव में एक अन्य सब ग्रुप वीक आरएच भी पाया गया है। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार कई आैर सब ब्लड ग्रुप मिले है जिनकी गहन जांच की जा रही है कि यह सब ब्लड ग्रुप किस ब्लड ग्रुप को चढ़ाया जा सकता है या नहीं। उन्होंने बताया कि इन नये प्रकार के मिल रहे सब ब्लड ग्रुप को देखते हुए देश के सभी बड़े ब्लड बैंक एक प्लेट फार्म पर आ गये। जहां पर इन नये सब ब्लड ग्रुप के बारे में आपस में विचार विमर्श व नयी जानकारी ले लेते है।
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