लखनऊ। गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल व संस्थान के विलय में डॉक्टर व कर्मचारियों की तैनाती आवश्यकता व योग्यता के अनुसार ही जाएगी। इसके के बाद शेष डाक्टरों व कर्मचारियों को अन्य अस्पतालों में आश्वयकता के अनुसार रेफर कर दिया जाएगा। बताया जाता है कि 90 डॉक्टरों में केवल 43 को ही संस्थान में तैनाती मिल सकेगी।
कोशिश की जा रही है कि लोहिया संस्थान एम्स की तर्ज पर उच्चस्तरीय बनाने के साथ ही चिकित्सा शिक्षा में भी विकसित किया जाए। वर्तमान में एमबीबीएस की चिकित्सा शिक्षा के साथ ही सुपर स्पेशियलिटी पाठ¬क्रम का भी संचालन हो रहा है। इन सब में एमसीआई से एमबीबीएस की मान्यता सुरक्षित रखने के लिए संस्थान के पास कम से कम साढ़े 550 बिस्तरों की आवश्यकता है। वर्तमान में संस्थान के पास सुपर स्पेशियालिटी विभागों के 350 बिस्तरों हैं। इसके अलावा 200 बिस्तर सामान्य विभागों के हैं। एमसीआई के नियमानुसार सुपर स्पेशिलिटी के बिस्तर एमबीबीएस मान्यता के लिए जुड़ सकते है। अस्पताल के विलय की प्रक्रिया कई चरणों में आगे बढ़ चुकी है।
आंकड़ों के अनुसार लोहिया अस्पताल में 190 कर्मचारी स्थायी पदों पर तैनात हैं। इन कर्मचारियों को तीन से पांच साल के लिए तैनात किया जाएगा। 50 प्रतिशत कर्मचारियों को ही प्रतिनियुक्ति पर लिए जा सकेंगे। इसमें कर्मचारियों का वेतन व पद का खयाल रखकर तैनात किया जाएगा। ऐसे में शेष कर्मचारियों को आशियाना स्थित लोकबंधु अस्पताल में तबादला किया जाएगा।
लोहिया अस्पताल में कुल 90 डॉक्टर तैनात हैं। इनमें योग्यता, विभाग व विशेषज्ञा के अनुसार 43 डॉक्टरों को विलय के बाद संस्थान में लिया जाएगा। इनमें चार डॉक्टरों को प्रतिनियुक्त पर रखा जाएगा। 39 डॉक्टर को अटैच किए जाएंगे। तीन से पांच साल का विलय होगा। शेष बचे 47 डॉक्टरों को दूसरे अस्पतालों में तबादला किया जाएगा। बताया जाता है कि ज्यादातर डाक्टर लोक बंधु व अन्य अस्पतालों में मांग के अनुसार तैनात किये जाएंगे।
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