लखनऊ। मई को दुनिया भर में विश्व हाथ स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, परन्तु विभिन्न अध्ययनों में पाया गया है की अस्पताल में पर्याप्त हाथ न धोने के कारण रोगी को अस्पताल में लम्बे समय रहना पड़ता है। ऐसे में उसके परिजन भी संक्रमण की चपेट में आ जाते है आैर इलाज की लागत बढ़ जाती है, विकृति, मृत्यु दर और ज्यादा मात्रा में-दवा प्रतिरोधी (एमडीआर) रसंक्रमण में वृद्धि हुई है। कई अध्ययनों से पता चला है कि अधिकतर हेल्थकेयर प्रदाता अपने हाथों को पर्याप्त नहीं धोते हैं या पर्याप्त हाथ रगड़ने वाले हैंड सांइटिज़ेर नहीं हैं। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के माइक्रोबॉयलोजी विभाग की डाक्टर शीतल वर्मा ने दी।
उन्होंने बताया कि नये आंकड़ों के मुताबिक, 25 रोगियों में से लगभग एक अस्पताल की देखभाल के दौरान स्वास्थ्य देखभाल के दौरान संक्रमित हो जाता है, ऐसे में सालाना 722,000 संक्रमण शामिल होते हैं। इनमें से 75,000 मरीज अपने संक्रमण से मर जाते हैं। अधिकांश रोगाणु जो स्वास्थ्य देखभाल में गंभीर संक्रमण का कारण बनते हैं, वे लोगों के कार्यों से फैलते हैं। संक्रमण को रोकने के लिए हाथ स्वच्छता एक शानदार तरीका है। हालांकि, अध्ययनों से पता चलता है कि औसतन, हेल्थकेयर प्रदाता अपने हाथों को आधे से भी कम समय तक साफ करते हैं।
यह स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े संक्रमणों के बढावा देने का योगदान देता है, जो किसी भी दिन 25 अस्पताल के मरीजों में से एक को प्रभावित करता है। इसके अलावा प्रत्येक रोगी को संक्रमण होने का खतरा होता है। उन्होंने बताया कि हाथों की स्वच्छता के यह पांच क्षण हैं रोगी संपर्क से पहले, असंतोष कार्य से पहले, शारीरिक द्रव एक्सपोजर के बाद, रोगी संपर्क के बाद और रोगी से सम्पर्क के बाद हाथ साफ होना चाहिए। मरीजों की संख्या और देखभाल की तीव्रता के आधार पर हेल्थकेयर प्रदाताओं को अपने हाथों को 12 घंटे की शिफ्ट प्रति 100 गुना साफ करने की आवश्यकता हो सकती है। हाथ सेनेटिज़र हाथों को साफ करने का पसंदीदा तरीका है।
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