लखनऊ। निजी क्षेत्र में लगने वाले जर्मन रुबैला वैक्सीन का टीका अब आपके नौनिहाल को सरकारी अस्पताल में भी लग सकेगा। खसरे से मिलते जुलते जर्मन रूबैला वायरस से निपटने के लिए जल्द ही टीकाकरण अभियान स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से शुरू किया जा रहा है। इस वैक्सीन के पहले बच्चों को पेंटावैलीन वैक्सीन लगने से पांच गंभीर बीमारियों से बचाया जा रहा है।
जर्मन रूबैला वायरस खतरनाक वायरस है : डा. डीके बाजपेयी –
खसरे के साथ ही जर्मन रूबैला का मामलों में इसका इजाफा होता जा रहा है। देश में जर्मन रूबैला बच्चों को ही नहीं गर्भवती मंिहलाओं को भी चपेट में लेती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जर्मन रूबैला खसरे से मिलता जुलता ही है। स्वास्थ्य विभाग के टीकारणकरण प्रभारी व विशेषज्ञ डा. डीके बाजपेयी बताते है कि जर्मन रूबैला वायरस खतरनाक वायरस है। यह खसरे के साथ ही अटैक कर सकता है। उन्होंने बताया कि जर्मन रूबैला में बुखार व बदन दर्द कम आैर लाल चकत्ते भी पड़ जाते है। यह लगभग तीन दिन में ठीक हो जाता है, पर खसरा छह दिन से एक सप्ताह तक ले लेता है आैर बुखार व बदन दर्द भी काफी होता है।
इसके काफी लक्षण अलग होते है। जर्मन रूबैला की खास बात यह है कि गर्भवती महिला जर्मन रूबैला वायरस की चपेट में अा जाती है तो उसके गर्भस्थ शिशु में विकृति आ सकती है। उन्होंने बताया कि इस वैक्सीन को अभी निजी क्षेत्र के बाल रोग विशेषज्ञ डाक्टर लगाते है। उन्होंने बताया कि अभी तक टीकाकरण में मिजिल्स का टीका ही लगाया जाता है,पर जल्द ही नियमित टीकाकरण में शामिल करने की तैयारी है।