NEWS- देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने लागत कम करने के लिये एक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) तैयार की है। बैंक के लगभग 30,190 कर्मचारी इस योजना के पात्र हैं।
अभी (मार्च 2020 तक) एसबीआई में कर्मचारियों की कुल संख्या 2.49 लाख है, जो साल भर पहले 2.57 लाख थी।
सूत्रों के अनुसार, बैंक ने वीआरएस योजना का मसौदा तैयार कर लिया है आैर निदेशक मंडल की मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है। प्रस्तावित योजना ‘दूसरी पारी टैप वीआरएस- 2020″ का लक्ष्य बैंक की लागत में कमी लाना आैर मानव संसाधन का अधिकतम इस्तेमाल करना है।
यह योजना हर वैसे स्थायी कर्मचारियों के लिये है, जिन्होंने बैंक के साथ काम करते हुए 25 साल बिता दिये हैं या जिनकी उम्र 55 साल है। योजना एक दिसंबर को खुलेगी आैर फरवरी तक उपलब्ध रहेगी। उसके बाद वीआरएस आवेदन स्वीकार नहीं किये जायेंगे।
प्रस्तावित पात्रता शर्तों के अनुसार, बैंक में कार्यरत 11,565 अधिकारी आैर 18,625 कर्मचारी योजना के पात्र होंगे।
बैंक ने कहा कि अनुमानित पात्र लोगों में से यदि 30 प्रतिशत ने योजना का चयन किया तो जुलाई 2020 के वेतन के हिसाब से बैंक को 1,662.86 करोड़ रुपये की शुद्ध बचत होगी।
योजना चुनने वाले कर्मियों को बचे कार्यकाल का 50 प्रतिशत अथवा पिछले 18 महीने में उन्हें कुल वेतन में से जो कम होगा, उसका एकमुश्त भुगतान किया जायेगा। इसके अलावा उन्हें ग्रेच्युटी, पेंशन, भविष्य निधि आैर चिकित्सा लाभ जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी।
हालांकि, बैंक यूनियन प्रस्तावित वीआरएस योजना के पक्ष में नहीं हैं।
नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अश्वनी राणा ने कहा, ”एक ऐसे समय में, जब देश कोविड-19 महामारी की चपेट में है, यह कदम प्रबंधन के मजदूर विरोधी रवैये को दर्शाता है।