लखनऊ । राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने शासन से मांग की है कि कोविड संक्रमण काल में कोरोना योद्धाओं के जिन माँगो पर सहमति बन चुकी है, उन माँगो का निस्तारण कर उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए ।
सातवे वेतन आयोग द्वारा केन्द्र के कुछ कर्मचारियों के वेतनमान को उनके कार्य एवं दायित्वों को देखते हुए उच्चीकृत किया गया, जो प्रदेश सरकार को भी करना था ।
उ प्र में सातवें वेतन समिति द्वारा केंद्र के पद से पद के वेतनमान की समानता के आधार पर अपनी संस्तुति करते हुए रिपोर्ट मुख्यमंत्री को विगत दो वर्ष पूर्व प्रेषित कर दी गई।
काफी समय व्यतीत हो जाने के उपरांत रिपोर्ट जब मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्तुत नही की गई तो परिषद ने बड़े आंदोलन की घोषणा की, जिसमें तत्कालीन मुख्य सचिव डॉ अनूप चन्द्र पाण्डेय जी के साथ परिषद के प्रतिनिधिमंडल की दिनाँक 11 अक्टूबर 2018 को वार्ता सम्पन्न हुई और सहमति बनी कि 03 माह के अंदर वेतन विसंगति की रिपोर्ट मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्तुत कर निस्तारण करा दिया जायेगा, जो लगभग 2 साल से लंबित है ।
आज इस वैश्विक महामारी कोविड 19 में प्रदेश का लाखो कर्मचारी अपनी जान व परिवार की परवाह किये बगैर कोरोना योद्धा के रूप में जनता की सेवा कर रहा है, जिसकी सराहना प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व अन्य लोगों ने सार्वजनिक रूप से किया भी है । प्रदेश में सैकड़ों की संख्या में कोरोना योद्धा दिवंगत भी हो गए।
आज ऐसी परिस्थितियों में चिकित्सा विभाग के कर्मचारी जो अग्रिम पंक्ति में कोरोना योद्धा के रूप में कार्य कर रहे हैं ,उनकी जायज़ मांग जिसमे कोई वित्तीय भार सरकार को वहन नही करना है ,जैसे नर्सेज जिनका पदनाम केन्द्र में परिवर्तित हो चुका है प्रदेश में लंबित है, लैब टेक्नीशियन और फार्मेसिस्ट संवर्ग का पदनाम परिवर्तन और वेतन उच्चीकरण, आप्टोमेट्रिस्ट, प्रयोगशाला सहायक का वेतन उच्चीकरण व पदनाम परिवर्तन केन्द्र सरकार द्वारा किया जा चुका है, सहित अन्य संवर्गों की वेतन विसंगति भी केन्द्र सरकार निस्तारित कर चुकी है, परन्तु समझौतो के बावजूद प्रदेश में अभी वेतन विसंगति व पदनाम परिवर्तन लम्बित है। परिषद के उपाध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि प्रदेश के एलोपैथिक, होम्योपैथिक, आयूर्वेदिक, यूनानी एवं वेटनरी फार्मासिस्ट चिकित्सालयों की रीढ़ के रूप में कार्य कर रहें है, महत्वपूर्ण कार्य एवं दायित्व तथा शैक्षिक एवं तकनीकी योग्यता को देखते हुए वेतन समिति द्वारा वेतन उच्चीकरण कर राज्य में कार्यरत अन्य डिप्लोमा धारकों के बराबर करने का निर्णय लिया गया था मुख्य सचिव द्वारा उक्त विसंगति को एक माह के अन्दर मंत्रिपरिषद से पारित कराकर लागू कराने का निर्णय बैठक में लिया गया था, परन्तु अभी तक उक्त समझौता शासन की फाईलो में दर्ज है।
परिषद ने मुख्य मंत्री को पत्र भेजकर मांग की है कि कोरोना योद्धाओं की वेतन विसंगति, पदनाम परिवर्तन, कैडर पुनर्गठन जैसे प्रकरण जिसमें सरकार पर कोई वित्तीय भार नही पड़ना है पर आपके नेतृत्व वाली सरकार में हुए समझौतो का क्रियान्वयन कराने का निर्देश जारी करें , जिससे इनका मनोबल मजबूत हो।