लखनऊ। शर्तिया इलाज दावों से बचते हुए पाइल्स, फिशर, फिस्चुला , एवं अन्य एनोरेक्टल बीमारियों का इलाज विशेषज्ञों कराना ही बेहतर रहता है। फिर भी ज्यादातर मरीज झोलाछाप डाक्टर से इलाज कराने के बाद हालत बिगड़ने पर ही इलाज कराने आते है। यह जानकारी किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय सर्जरी विभाग के वरिष्ठ डा.अरशद ने पत्रकार वार्ता में दी।
उन्होंने बताया कि सर्जरी विभाग द्वारा चार अगस्त को प्रॉक्टोलॉजी अपडेट कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रदेश समेत अन्य प्रदेशों से 400 से ज्यादा सर्जन शामिल होंगे। सर्जरी विभाग के डॉ. अरशद अहमद ने बताया कि एक दिवसीय इस कार्यशाला में व्याख्यान के साथ साथ ऑपरेटिव वीडियो और पैनल डिस्कशन के माध्यम से वार्ता होगी।
डॉ. अरशद ने बताया कि इस कार्यशाला में मुख्य रूप से पाइल्स , फिशर, फिस्चुला , एवं अन्य एनोरेक्टल बीमारियों के उपचार की आधुनिकतम सुविधाओं के बारे में चर्चा किया जाएगा। डॉक्टर अरशद ने बताया कि इस कार्यशाला में एलोपैथी के साथ साथ आयुर्वेदिक और यूनानी के भी चिकित्सक शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से पाइलस से संबंधित जो बीमारी है और अक्सर लोग इस बीमारी के बारे में चर्चा करते हुए शर्माते हैं और जानकारी ना होने की वजह से किसी से भी इलाज करा लेते है। इन्होने कहा की सर्टिफाइड अस्पताल या डाक्टर से इलाज कराने के बजाय अक्सर झोलाछाप के बहकावे में आ जाते हैं, जिसके कारण इनकी समस्या और बढ़ जाती है। नयी तकनीक से सर्जरी व अन्य अपडेट डाक्टरों को देने के साथ ही आम जनता तक पहुंचाने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा।
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