इस आसन की खासियत यह होती है कि खरगोश की तरह इस आसन में बैठना होता है, शायद इसलिए इसको शशांक आसन कहा जाता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले वज्रासन की अवस्था में बैठ जाइए और सिर्फ लंबी गहरी स्वास फेफड़ों में भरिए और साथ साथ में दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए ऊपर की ओर तानी है। यहां पर ध्यान रखना है कि हथेलिया खुली हुई और सामने की ओर होनी चाहिए। अब श्वास को धीरे धीरे बाहर निकालते हुए कमर तक के भाग को नीचे की ओर बढ़ते हुए अपने दोनों हाथों की हथेलियों को जमीन पर टिका दीजिए सिर माथे को जमीन पर टिकाए। इससे स्वसन गति सामान्य हो जाएगी।
आसन को नियमानुसार सीखने के बाद अपनी क्षमता के अनुसार इस आसन में रुके और फिर धीरे-धीरे हथेलियों को ऊपर लाएं। यह इस आसन का एक चक्र हुआ। बेहतर रिजल्ट के लिए 5 बार इस आसन को जरूर करना चाहिए। इस आसन से होने वाले लाभ विशेषज्ञों के अनुसार आसन के लगातार अभ्यास करते रहने से मन शांत होता है इससे एकाग्रता रणविजय क्रोध पर नियंत्रण, मानसिक संतुलन, बुद्धि का विकास सकारात्मक होता है। योग विशेषज्ञों के अनुसार इस आसन के नियमित करने से दमा, कार्डियक प्रॉब्लम, फेफड़ा रोग के साथ श्वसन बीमारियां ठीक हो सकती हैं।
यह आसन मेरुदंड के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। विशेषज्ञों की मानें तो चेहरे पर लालिमा कांति और तेज बढ़ता है।विशेषज्ञों के अनुसार यह आसन पूरे शरीर की थकान दूर कर देता है। अगर परामर्श माने तो स्लिप डिस्क, गर्भवती महिलाओं और गठिया के रोगी बिना योग गुरु के परामर्श और जांच के बाद ही करना चाहिए बिना योग गुरु के परामर्श के लिए इस आसन का अभ्यास ना करें।
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