लखनऊ । किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में वेंटिलेटर के सहारे एक फेफड़े से सांस ले रही महिला को डा. वेद व टीम ने नया जीवन दिया है। क्रॉनिक आब्ट्रेक्टिव डीजीज (सीओपीडी) से पीड़ित यह मरीज मौत को मात देकर अब पूरी तरह से सेहतमंद है। ट्रॉमा सेंटर आरआईसीयू (रेस्पेरेटरी इनटेंशिव केयर यूनिट) के डॉक्टरों ने सुधार के बाद महिला मरीज की डिस्चार्ज कर दिया है। इस महिला के टीबी की वजह से 20 साल पहले मरीज का एक फेफड़ा खराब हो चुका था आैर एक ही फेफड़े के सहारे जिंदा है।
डा. वेद ने बताया कि हरदोई निवासी कुमकुम तिवारी (65) को सांस लेने में परेशानी हुई। उन्हें साथ में बुखार भी आ रहा था। उन्होंने बताया कि 24 जनवरी को परिजनों ने मरीज को हरदोई रोड के स्थानीय निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां डॉक्टरों ने जांच के बाद मरीज की हालत गंभीर बताते हुए वेंटिलेटर पर रखा। इसके बावजूद बुजुर्ग कुमकुम की सेहत में सुधार नहीं हुआ। रात में परिजनों उन्हें लखनऊ लाकर ने लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया। यहां पर वेंटिलेटर पर तीन दिन भर्ती रखा गया, लेकिन हालत और बिगड़ने पर मरीज को ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया।
आरआईसीयू में डॉ. वेद प्रकाश के निर्देशन में इलाज शुरू हुआ। जांच में पता चला मरीज का एक ही फेफड़ा है। उनके परिजनों ने बताया कि मरीजों को 20 साल पहले फेफड़े की टीबी हुई थी, जिसमें एक फेफड़े ने काम करना बंद कर दिया था, तबसे मरीज एक ही फेफड़े के भरोसे सांस ले रही थीं। जांच में यह भी पता चला मरीज को क्रॉनिक आब्ट्रेक्टिव डीजीज (सीओपीडी) से पीड़ित है।
बीमारी की वजह से मरीज के कई अंग फेल हो चुके थे। गुर्दों ने भी काम करना बंद कर दिया था। वेंटिलेटर पर भर्ती होने की वजह से निमोनिया भी था। जांच में पता चला मरीज डायबटीज से पीड़ित है। डॉ. वेद ने बताया कि मरीज को पांच फरवरी तक वेंटिलेटर पर रखा गया। उसे डाक्टर्स टीम ने इलाज करना शुरू किया। इसके बाद पांच फरवरी को वेंटिलेटर हटा लिया गया। आठ फरवरी को तबीयत में सुधार के बाद मरीज की डिस्चार्ज कर दिया गया है।
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