लखनऊ। सिर मुड़ाते ही ओले पड़े… वाली कहावत आज वाणिज्यकर अधिकारियों के अधिवेशन में खरी उतरी। जब मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ अधिवेशन में पहुंचे आैर उनके तेवर भाषण में देखकर वातानुकूलित हाल में बैठे अधिकारियों के पसीने आने लगा। मुख्यमंत्री ने मंच से खुले तौर पर अधिकारियों को अपने कार्य व व्यवहार से अपनी छवि में सुधार लाने की नसीहत तक दे डाली। उन्होंने कहा कि प्रदेश के दौरे पर हमें कई जनपदों में व्यापारियों को ई-वे बिल और अन्य बातों को लेकर व्यापारियों को प्रताड़ित करने की शिकायतें मिलती हैं। यह अहसास कराया कि अधिकारी यह न समझे की सरकार से कुछ भी छुपा है। सीएम ने स्पष्ट कहा कि विभागीय अधिकारी और व्यापारियों में विश्वास होना बहुत आवश्यक है। हमारा दृष्टिकोण मानवीय हो व्यापारियों का शोषण नहीं होना चाहिए क्योंकि वह हमारा उपभोक्ता है।
उसमें यह भाव पैदा करें कि वह कर चोरी करने के बजाए हमारी बनाई व्यवस्था में शामिल हो सके। सीएम के सख्त तेवर को देखने के बाद विभाग के अन्य दूसरे संघ भी अपने अधिवेशन में सीएम को बतौर मुख्य अतिथि बुलान के कोशिश में लगे थे, उन्होंने अपने फैसले पर सोचने पर विवश कर दिया है। वही मुख्यमंत्री द्वारा खुले मंच से ई-वे बिल की आड़ में व्यापारियों का उत्पीड़न किये जाने की बात कहे जाने के बाद वरिष्ठ अधिकारी तेवर में आ गये। देर शाम कमिश्नर वाणिज्य कर कामिनी चौहान रतन ने प्रदेश के सभी जोनल एडीशनल कमिश्नरों को पत्र भेजकर यह सख्त हिदायत दी है कि मुख्यमंत्री के संज्ञान में आया है कि ई-वे बिल की आड़ में व्यापारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है, अगर किसी व्यापारी के उत्पीड़न की शिकायत जांच में सही पायी जाती है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
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