आजकल महिलाओँ, खासकर लड़कियों में ‘साइज-जीरो’ का ‘क्रेज’ है। सुपर मॉडल की तरह दिखने की ललक में वे जबरदस्त डायटिंग करती हैँ। यानी शरीर के लिए आवश्यक पौष्टिक आहारों का सेवन भी अति सीमित मात्रा में करती हैँ। वैज्ञानिकों की चेतावनी है कि उनकी यह गैरजरूरी आदत हड्डियों को कमजोर वना सकती है।
ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने इस बारे में एक अध्ययन किया और पाया कि हड्डी की मजबूती का ताल्लुक फैट लेवल से है। साफ शब्दों में कहें, तो दुबला-पतला होने की प्रवृति से हइडुयों के फ्रेक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। यह तो जगजाहिर है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को किशोरावस्था व युवावस्था में हड्डियों को मजबूत बनाना बेहद अहम होता है। क्योंकि उम्र बढ़ने पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं को हड्डियों के खोखले होने यानी ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा तीन गुना ज्यादा रहता है। इतना ही नहीं, उम्र बढ़ने पर, पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को रीढ़ की हड्डी टूटने की आशंका तीन गुना तक ज्यादा रहती है।
पैदल चलने जैसी हल्की-फुल्की कसरतें ही वजन कम करने में कारगर साबित होती हैं –
ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी से सम्बन्धित और इस अध्ययन के प्रमुख प्रोफेसर जॉन टोबियास ने बताया कि कुछ लोगों के दिमाग में यह आस्था घर कर गईं है कि एक ही समय में कसरत करके वजन भी कम किया जा सकता है व हड्डियों को भी मज़बूत बनाया जा सकता है। लेकिन सच्चाई यह कि एक सीमा तक ही दोनों लाभ मिल सकते है। पैदल चलने जैसी हल्की-फुल्की कसरतें ही वजन कम करने में कारगर साबित होती हैं, लेकिन इसकी मदद से हड्डियों में भरपूर मजबूती नहीं लाई जा सकती। यदि हड्डियों को मज़बूत यनाना है, तो दौड़ने या कूदने जैसी मेहनतकश कसरतों का सहारा लेना होगा। बहरहाल, उक्त अध्ययन में 15 साल उम्र वाले 4 हजार से ज्यादा लोगों की हड्डियों की स्कैनिंग की गई। इससे पता चला कि जिनके शरीर में फैट की मात्रा ज्यादा थी, उनकी हड्डिया ज्यादा मज़बूत होने की प्रवृति रखती था खासतौर से लड़कियों मेँ।