धूम्रपान करने वालों को इसका का खतरा 60% अधिक

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लखनऊ। तंबाकू का उपयोग कैंसर का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। यह कैंसर से संबंधित सभी मौतों का लगभग 22 प्रतिशत है। तंबाकू का धुआं हानिकारक रसायनों से भरा होता है, जो फेफड़ों और वायुमार्गों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे क्रोनिक ब्राोंकाइटिस सहित कई गंभीर बीमारी होती है। यह बात पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख डा. वेद प्रकाश ने नो टोबेको डे पर आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। पत्रकार वार्ता में मैक्सोफेशियल सर्जरी विभाग के वरिष्ठ डा. यूएस पाल सहित अन्य वरिष्ठ डाक्टर मौजूद थे।

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डा. वेद ने कहा कि धूम्रपान करने वालों को बांझपन का खतरा 60 प्रतिशत अधिक होता है, महिला प्रजनन क्षमता में 30प्रतिशत की कमी होती है, और गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से 20-30 प्रतिशत कम वजन वाले बच्चे पैदा होते हैं, 14 प्रतिशत समय से पहले बच्चे का जन्म होता है, और 10 प्रतिशत गर्भावस्था में शिशु मृत्यु होती है और जन्म दोषों का 30 प्रतिशत जोखिम अधिक होता है।

तम्बाकू व गुटखा सेवन से होने वाले कैंसर के सर्जन डा. यूएस पाल ने बताया कि भारत में 26 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं, जिसमें लगभग 29 प्रतिशत नवयुवक एवं नवयुवतियाँ सम्मलित हैं।भारत में लगभग 30 प्रतिशत कैंसर तंबाकू के सेवन की वजह से होता है। उन्होंने कहा कि परिवार में एक दूसरे को, कार्यालय में एक दूसरे तम्बाकू व गुटखा सेवन न करने का परामर्श देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि फार्माकोथेरेपीरू तंबाकू समाप्ति में सहायता के लिए फार्माकोथेरेपी विकल्पों पर विचार करें, जिसमें निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एनआरटी), जैसे निकोटीन पैच, गम, लोजेंज, इन्हेलर या नाक स्प्रे शामिल हैं। निकोटीन की लालसा और वापसी के लक्षणों को कम करने के लिए अन्य दवाएं, जैसे बुप्रोपियन या वैरेनिकलाइन भी शामिल है। इस अवसर पर प्रो. विजय कुमार, नशामुक्ति विशेषज्ञ डा. अमित सिंह सहायक आचार्य मनोरोग विभाग, डा. सचिन,डा. अरिफ, डा. अतुल, डा. मृत्युंजय, डा. अनुराग, डा. दीपक, डा. शुभ्रा, डा. संदीप, डा. अपर्णा इत्यादि लोग मौजूद थे।

इसके अलावा केजीएमयू परिसर में पब्लिक हेल्थ डेटस्ट्री ने भी जागरूकता के लिए वाकॉथन का आयोजन किया।

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