लखनऊ। कोरोना काल में वर्क फ्राम होम के बाद लोगों में डायबिटीज की बीमारी बढ़ी है। काफी संख्या में प्री डायबिटीज के मरीज डायबिटीज हो चुके है। अभी भी ज्यादातर लोगों में आराम तलबी कम नहीं हो रही है, व्यायाम या वॉक करना कम हो गया है, जिससे लोगों में डायबिटीज बढ़ रही है। इनमें बड़ी संख्या में युवा वर्ग भी शामिल है। इनके साथ बच्चों में मोटापा बढ़ने के साथ ही डायबिटीज भी बढ़ रही है। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ डाक्टर कौसर उस्मान ने कही।
डा. कौसर ने बताया कि कोरोना काल में लोग वर्क फ्राम होम करते रहे। इस कारण टहलना,व्यायाम आैर अन्य फिजिकल एक्टिवटी नही हो पायी। ऐसे में काफी लोग मोटे होने के साथ प्री डायबिटीज की श्रेणी में आ रहे है। फिर भी लोग अभी भी आराम तलब है। शारीरिक मूवमेंट न के बराबर हो गया है। उन्होंने बताया कि काफी संख्या में लोग जो कि प्री डायबिटीज थे वह अब डायबिटीज की श्रेणी में आ चुके है। कोरोना काल के बाद काफी संख्या में ऐसे बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिन्हें पहले यह बीमारी नहीं थी।
उन्होंने बताया कि वैसे तो बच्चों में कुछ साल में यह बीमारी तेजी से बढ़ी है, लेकिन कोरोना के बाद इस संख्या में इजाफा हुआ है। डा. कौसर का कहना है कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग डायबिटिक मिल रहे हैं, जिनके परिवार में इस बीमारी की कोई हिस्ट्री नहीं है। बच्चों में मधुमेह की सबसे बड़ी वजह फास्ट फूड पर अधिक निर्भरता आैर शारीरिक व्यायाम से बढ़ती दूरी है। अधिकतर समय कुछ-न-कुछ खाते रहने के कारण बच्चों के शरीर में चर्बी बढ़ जाती है। ऐसे में गर्भावस्था में चेकअप जरूरी है। लक्षण दिखाई देने पर एचबी-1 एसी की जांच जरूर करानी चाहिए।
इन लक्षणों पर दें ध्यान
– ज्यादा प्यास लगना
– बार-बार पेशाब लगना
– भूख बढ़ना, वजन कम हना
– थका हुआ रहना