UP<ब्रेन स्ट्रोक में पाइपलाइन शिल्ड डिवाइस से पहली सर्जरी का दावा

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लखनऊ। गोमती नगर स्थित डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने ब्रोन स्ट्रोक से पीड़ित मरीज का नयी तकनीक जटिल सर्जरी की है। पाइप लाइन शिल्ड डिवाइस तकनीक से की गयी सर्जरी को प्रदेश की पहली इस तरह की सर्जरी होने का दावा किया जा रहा है।
दिमाग के अनदरुनी हिस्से में खून की गांठ फट गई थी, जिससे मरीज बेहोश थी। 46 वर्षीय महिला को इतना गंभीर ब्रोन स्ट्रोक हुआ था कि दिमाग की गहराई में मौजूद रहने वाली विशेष प्रकार की खून की गांठ फट गई थी। इसका सीधा ऑपरेशन करने पर मरीज की जान जा सकती थी। ऐसे में डॉक्टरों ने विशेष प्रकार के पाइप लाइन शिल्ड डिवाइस का सहारा लेकर जटिल ऑपरेशन किया। लोहिया संस्थान के डॉक्टरों के अनुसार इस डिवाइस के जरिए की गई यह प्रदेश की पहली जटिल सर्जरी है।
न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख डा. दीपक सिंह ने बताया कि बलिया निवासी विभा देवी (46) को ब्रोन स्ट्रोक होने पर वह बेहोश हो गयी आैर उनके परिजनों ने स्थानीय अस्पताल ले पहुंचे। यहां इलाज के बाद भी मरीज को होश नहीं आया। इसके बाद परिजनों ने लगभग दस दिन पहले उन्हें लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में भर्ती कराया। न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने मरीज की सीटी एंजियोग्राफी कराया, तो उसमें खून की गांठ फटने की पुष्टि हुई। रिपोर्ट के अनुसार यह गांठ दिमाग के काफी गहराई में थी। इस कारण सर्जरी बहुत जटिल बन रही थी। उन्होंने बताया कि ऐसे 70 प्रतिशत मामलों में सर्जरी में अनहोनी की आशंका बनी रहती है। उन्होंने बताया कि नयी तकनीक पाइपलाइन शिल्ड डिवाइस लगाने के अलावा आैर कुछ करते नहीं बन रहा था। इस प्रकार की सर्जरी में यह फ्लो डाइवेटर काफी सुरक्षित है।
टीम के साथ वार्ता करके बारह जनवरी को सर्जरी की तैयारी की गयी। उनके नेतृत्व में एनस्थीसिया विभाग प्रमुख डॉ. दीपक मालवीय, डॉ. मनोज त्रिपाठी, न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. कुलदीप और डॉ. कैफ समेत अन्य डॉक्टरों की टीम ने सर्जरी की। डॉ. सिंह ने बताया कि मरीज को ब्रोन स्ट्रोक होने से खून की गांठ (एन्यूरिज्म) फट गया था। उनका दावा है कि प्रदेश में पहली बार दिमाग की सर्जरी में पाइप लाइन शिल्ड डिवाइस का प्रयोग किया गया है। दिल्ली और मुम्बई में इस डिवाइस का प्रयोग हो रहा है।
इस जटिल सर्जरी में लगभग सात लाख रुपये का खर्च आया। इसमें करीब तीन लाख रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद मिली। दिल्ली-मुंबई क निजी अस्पताल में इस सर्जरी में पर लगभग 15 लाख रुपये खर्च आते हैं। मरीज स्वस्थ्य है, तीन चार दिन में मरीज को डिस्चार्ज किया जाएगा।

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