लखनऊ। शासन के निर्देश को धता बताते हुए किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के लिंब सेंटर में कोविड-19 हास्पिटल बनाने के लिए दिव्यांगों के लिए चल रही वर्कशाप को हटाने की प्रशासनिक अधिकारियों के कार्रवाई शुरू करा दी है। शासन ने वर्कशाप को न हटाने के निदेॅश दे चुके है। वही केजीएमयू के जिम्मेदार अधिकारियों ने कार्रवाई को तत्काल पूरा करने के लिए कहा है। दिव्यांगों की वर्कशाप को शताब्दी अस्पताल फेज दो की बेसमेंट में शिफ्ट करने के निर्देश दिये गये है। जहंा पर सीवर का गंदा पानी आये दिन भरा रहता है। दूसरे वर्कशाप के उपकरणों को शिफ्ट करने में ही महत्वपूर्ण उपकरण बेकार हो जाएंगे, जिससे दिव्यांगों के सहायक व कृत्रिम उपकरण निर्माण में दिक्कत होगी। जब कि वर्कशाप को न हटाने की गुहार दिव्यांग पहले की न्यायालय में लगा चुके है आैर वहां से फैसला आना बाकी है।
शनिवार को कार्यपरिषद की बैठक के बाद शासन के अधिकारियों व चिकित्सा शिक्षा विभाग के जिम्मेदारियों की टीम ने लिंब सेंटर का निरीक्षण कोविड -19 बनाने के लिए किया था। निरीक्षण में शासन के अधिकारियों ने निर्देश दिया था कि लिंब सेंटर के दो रास्ते है। एक रास्ता दिव्यांगों की वर्कशाप के लिए खुलता है। दूसरा गेट आम मरीजों के लिए खुलता है जो कि वार्डो में सीधे चला जाता है। ऐसे में दिव्यांगों के लिए वर्कशाप को न हटा जाए आैर अन्य भाग में कोविड-19 हास्पिटल बनाया जा सकता है। निरीक्षण के दौरान केजीएमयू कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट,कुलसचिव, प्रतिकुलपति, चिकित्सा अधीक्षक सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
इसके अलावा दिव्यांग जनों के एक संगठन ने लिंब सेंटर को कोविड-19 हास्पिटल न बनाने की अपील न्यायालय में किया है। बताया जाता है कि केजीएमयू ने वहां पर दिव्यांग जनों की वर्कशाप न हटाने का शपथपत्र भी दे रखा है। इसके विपरीत आज अचानक कुलसचिव ने लिंम सेंटर की वर्कशाप को 24 घंटे में शताब्दी अस्पताल फेज दो के बेसमेंट में शिफ्ट करने का फरमान सुना दिया है। मानक के अनुसार शताब्दी में वर्कशाप के लिए स्थान भी नही है। दूसरे कई महत्वपूर्ण मशीन उखाड़ने के साथ ही बेकार हो जाएगी। केजीएमयू प्रशासन द्वारा इस निर्देश का कई दिव्यांगों के संगठनों ने विरोध करते हुए आंदोलन की चेतावनी दे दी है। उनका कहना है कि न्यायालय को जो भी निर्णय होगा मान्य होगा लेकिन बिना निर्णय आये वर्कशाप को हटाने का विरोध किया जाएगा।