न्यूज। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डॉक्टरों ने छाती में केवल एक छेद से आहार नाल के कैंसर का सफल ऑपरेशन किया है। स्नैपशॉट का दावा है कि पहली बार भारत में इस ऑपरेशन में खाने के रास्ते को टेलीस्कोप द्वारा छाती में ही जोड़ा गया।
60 वर्षीय वृद्ध अयोध्या मंदिर के पुजारी को कुछ समय से ठोस आहार निर्धारण में चमक संबंधी परेशानी होती थी, परंतु कुछ दिनों बाद जब तरल लेने में भी मुश्किल होने लगती है तब जांच के बाद पता लगा की उन आहार नलिका (ग्रासनली) का कैंसर हैl चूंकि बीमारी तीसरी अवस्था में थी, इसलिए लाइसेंस वा रेडियोथेरेपी द्वारा पहले किंक को छोटा किया गया था।
इसके भाई को सूचना पर ऑपरेशन के लिए केजीएमयू में कैंसर सर्जरी विभाग में रेफर किया गया।
इस विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शिव राजन जो कि समाशोधन पहले भी कर रहे हैं, रोगी की सभी रिपोर्ट देखने के बाद उन्हें बताया कि इसका ऑपरेशन टेलीस्कोप द्वारा संभव है।
विभाग ग्रेड प्रो विजय कुमार और पूर्व विभाग ग्रेड प्रो अरुण चतुर्वेदी के साथ ऑपरेशन की जटिलताओं की चर्चा करने के बाद डॉक्टर शिव राजन ने इस ऑपरेशन का फैसला लिया।
सामान्यत: इस ऑपरेशन में छाती को 15 से 20 cm के चीरे से खोला जाता है या दूरबीन के द्वारा छाती में 4 से 5 छेद किए जाते हैं जिसमें छाती में गैस भरी जाती है और आहार नली निकालने के लिए किसी एक छेद को लगभग 5 cm बड़ा किया जाता है। लेकिन देश में पहली बार डॉक्टर शिव राजन ने केवल 4 cm के एक ही छेद से दूरबीन द्वारा इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक कर दिया। इसमें ना ही गैस का प्रयोग किया एवं ना ही छेद को बड़ा किया गया। इस ऑपरेशन में 6 घंटे लगे और पेट से खाने के रास्ते की ट्यूब बना कर दूरबीन द्वारा ही छाती में जोड़ा गया। इस ऑपरेशन में डॉ शिव राजन के साथ निश्चेतन विभाग के प्रो. डॉ अजय चौधरी, डॉ रोहित, डॉ अंकुर चौहान तथा डॉ शाश्वत तिवारी रहे, सिस्टर कृष्णा एवं स्टाफ अमित भी शामिल रहे।
अब मरीज पूरी तरह से मुंह से खाना खा रहा है और दसवें दिन अस्पताल से छुट्टी लेकर अपना घर चला गया है। दूरबीन से छाती में एक छेद कर गर्दन में खाने के रास्ते को जोड़ने वाला ऑपरेशन भी पहली बार डॉ शिव राजन ने 2014 में केजीएमयू में किया था। इस फंड के लिए किए गए ऑपरेशन का विवरण शिव राजन ने जल्द ही टोक्यो और जापान में एसोफैगस के रोगों के विश्व स्तरीय सम्मेलन में कर केजीएमयू का नाम लिया। पहली बार भारत में इस ऑपरेशन में खाने के रास्ते को टेलीस्कोप द्वारा छाती में ही जोड़ा गया।
इस जटिल सफल सर्जरी को लेकर केजीम्यू कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (डा) बिपिन पुरी ने डा शिवराजन की भूरी भूरी की सराहना की एवं उन्हें एवं टीम को उज्जवल भविष्य की चुनौतियां दी।