लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में अब गॉलब्लैडर में बन रही एक सेंटीमीटर से बड़ी पथरी (स्टोन)निकालने के लिए सर्जरी की आवश्यकता नहीं होगी। बिना सर्जरी पथरी से मरीज को निकाली जा सकेगी। गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग में विशेष तकनीक की मशीन लगायी गयी है, जिससे पथरी को तोड़कर आसानी से निकाला जा सकेगा।
बताते चले कि गॉलब्लैडर में पथरी पनपने के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब उम्र विशेष नहीं किसी भी उम्र के लोगों में पथरी पनप रही है। गॉलब्लैडर में पनपी पथरी को निकालने के लिए अभी तक सर्जरी करने की आवश्यकता पड़ती थी। खासतौर पर एक सेंटीमीटर से बड़ी पथरी की सर्जरी करके गॉल ब्लैडर ही निकाल दिया जाता था। सर्जरी कराने से पथरी निकवाले में कम में लड़कियां व युवा संकोच करते थे। वहीं बुजुर्ग व शारीरिक रूप से कमजोर मरीजों को भी सर्जरी कराने के बाद कई तरह की दिक्कत होने का खतरा रहता था।
कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि मरीजों की दुश्वारियां दूर करने के लिए गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग में कोलेंजियोस्कोपी (स्पाईग्लास) एंडोस्कोप मशीन लगायी गयी है। इससे गॉल ब्लैडर में एक सेंटीमीटर से बड़ी पथरी को भीतर ही तोड़कर बाहर निकाला जा सकेगा। मरीजों को सर्जरी के दर्द से बचाने में मदद मिलेगी। गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. सुमित रुंगटा ने बताया कि एंडोस्कोप से पित्त की नली की पथरी को तोड़ने, निकालने आदि की प्रक्रिया में कम से कम एक घंटे का समय लग जाएगा। मरीज को बेहोशी देकर सर्जरी किया जाएगा। उपकरण की शुरूआत शुक्रवार से कर दी गयी है। यह मशीन सर्जरी का बेहतर विकल्प है। बिना चीरा टांका पथरी निकलवाने में दस से 12 हजार रुपए का खर्च आएगा।