अलसी का बोटेनिकल नाम लिनुम युजितेतिसिमम यानी अति उपयोगी बीज है. अलसी के पौधे में नीले फूल आते हैं . अलसी का बीज तिल जैसा छोटा, भूरे या सुनहरे रंग का व चिकना होता है . इसे अंग्रेजी में लिन्सीद या फ्लेक्स्सीद , गुजराती में अद्सी, बिहार में तिसी, तमिल में अली विराई और उड़िया में पेसी कहते हैं .
प्राचीनकाल से अलसी का प्रयोग भोजन कपडा व रंग रोगन बनाने के लिए होता आया है . हमारी दादी माँ जब हमें फोड़ा फुंसी हो जाता था तो अलसी की पुल्टिस बनाकर बाँध देती थी . अलसी में मुख्य पौष्टिक तत्व ओमेगा-३ फैटी एसिड यानी अल्फ़ा लिनोलेनिक एसिड, लिगनेन, प्रोटीन व फाइबर होते हैं . अलसी बचपन से वृद्धावस्था तक फायदेमंद है .
महात्मा गाँधी ने स्वस्थ्य पर भी शोध की व बहुत सी पुस्तकें भी लिखीं . उन्होंने अलसी पर भी शोध किया, इसके चमत्कारी गुणों को पहचाना और अपनी एक पुस्तक में लिखा, “जहाँ अलसी का सेवन किया जायेगा, वह समाज स्वस्थ व सम्रद्ध रहेगा . ”
क्या है आवश्यक फैटी एसिड ओमेगा 3 व ओमेगा 6 ?
- भ्रूण के विकास के लिए जरूरी.
- त्वचा, नाखून व बालों को स्वस्थ रखता है .
- लाल रक्त कणों की कार्य प्रणाली में मदद करता है .
- शरीर की रक्त प्रणाली को मजबूत बनाता है .
- इन्फ्लेमेशन दूर करता है .
- आँखे, मस्तिष्क व स्नायुतंत्र की हर कार्यप्रणाली में मदद करता है, डिप्रेशन भागता है .
- ई पी ए और डी एच ए का निर्माण करता है .
- ब्लड प्रेशर व ब्लड शुगर पर नियंत्रण, कोलेस्ट्रोल की मात्र को संतुलित रखने व जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी
- उत्कृष्ट एंटी ओक्सिडेंट है .
अलसी में लगभग १८ प्रतिशत ओमेगा ३ और लगभग ७.७ फीसदी ओमेगा ६फैटी एसिड होते हैं . अलसी ओमेगा ३ फैटी एसिड का प्रथ्वी पर सबसे बड़ा स्रोत है . हमारे स्वास्थ पर अलसी के चमत्कारी प्रभावों को भली भांति समझने के लिए हमें ओमेगा ३ व ओमेगा ६ फैटी एसिड को विस्तार से समझना होगा . ओमेगा ३ व ओमेगा ६ दोनों ही हमारे शरीर के लिए आवश्यक हैं, पर ये शरीर में नहीं बन सकते हैं .
इन्हें हम अपने भोजन द्वारा ही ग्रहण करना होता है . ओमेगा ३ अलसी के अलावा मछली, अखरोट, चिया आदि में भी मिलते हैं . मछली में DHA और EPA नामक ओमेगा ३ फैटी एसिड होते हैं . ये अलसी में मौजूद ALA से हमारे शरीर में बन जाते हैं . ओमेगा ६ मूंगफली, सोयाबीन, सनफ्लावर , मकई आदि तेलों में प्रचुर मात्रा में होते हैं .
ओमेगा ३ हमारे शरीर के विभिन्न अंगों ख़ास तौर पर मस्तिष्क, स्नायु तंत्र व आँखों के विकास व उनके सुचारू रूप से सञ्चालन में महत्त्वपूर्ण योगदान करते हैं . हमारी कोशिकाओं की भित्तियां ओमेगा ३ युक्त फोस्फोलिपिद से बनती हैं . जब हमारे शरीर में ओमेगा ३ की कमी हो जाती है तो ये भित्तियां मुलायम व लचीले ओमेगा ३ के स्थान पर कठोर व कुरूप ओमेगा ६ फैट या ट्रांस फैट से बनती है .
बस यहीं से हमारे शरीर में है ब्लड प्रेशर, डायबिटीज टाइप २ आर्थराइटिस , मोटापा कैंसर आदि बीमारियों की शुरुआत हो जाती है .