यूरोलॉजिकल कैंसर में 1000 न्यूनतम मिनिमल इन वेसिव तकनीक से सर्जरी सफल

0
214

लखनऊ। डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने यूरोलॉजिकल कैंसर के लिए 1000 न्यूनतम मिनिमल इन वेसिव तकनीक से सर्जरी पूरी करके सर्जरी के क्षेत्र में नया स्थापित किया है। निदेशक डा सीएम सिंह का कहना है कि संस्थान एक उन्नत यूरो-ऑन्को देखभाल में एक प्रमुख संस्थान पहचान बना रहा, जो कि बेहतर रोगी परिणामों के लिए अत्याधुनिक तकनीक प्रदान करती है, जिसमें केवल एसजीपीजीआईएमएस ने प्रदेश में इससे अधिक सर्जरी की हैं।

Advertisement

यूरोलॉजिकल कैंसर के लिए इनवेसिव सर्जरी में किडनी कैंसर, प्रोस्टेटकैंसर, ब्लैडरकैंसर, एड्रेनल और यूरोथेलियल कैंसर के इलाज सफलतापूर्वक किया गया। प्रो. ईश्वर राम धयाल, यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख, ने कहा कि विभाग ने जटिल प्रकृति मानी जाने वाली रैडिकल प्रोस्टेटेक्टॉमी और पार्शियल ने फरेक्टॉमी के प्रत्येक 175 मामलों को सफलतापूर्वक पूरा किया है। इसके साथ ही विभाग ने मिनिमलइन वेसिवतरी के से ब्लैडरऔर एड्रेनल कैंसर के प्रत्येक 100 मरीजों का सफलता पूर्वक उपचार किया है। उन्होंने कहा कि यूरोलॉजिकल कैंसर बढ़ रहा है और प्रोस्टेट कैंसर भारत में सब से सामान्य में से एक है।

डॉ. आलोक श्रीवास्तव, प्रोफेसर, यूरोलॉजी ने कहा, ‘पारंपरिक तरीकों की तुलना में की-होल सर्जरी के फायदे रोगियों के पोस्ट-ऑपरेशन अनुभव में स्पष्ट हैं। रेडिकल प्रोस्टेटेक्टॉमी के बाद, रोबोटिक सर्जरी कराने वाले व्यक्तियों को पेशाब करने के पैटर्न में अधिक स्थिरता का लाभ मिलता है, जिससे ब्लैडर नियंत्रण की असुविधा समाप्त हो जाती है, और वेलिंग में सामान्य तनाव भी महसूस कर सकते हैं ,क्योंकि नाजुक नसों को प्रभावी ढंग से संरक्षित किया जा सकता है। किडनी कैंसर के मामलों में भी की-होल सर्जरी ने असाधारण परिणाम दिखाए हैं।

डा. सीएम सिंह, निदेशक लोहिया संस्थान ने कहा कि जब संस्थान एक अत्याधुनिक रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम प्राप्त करेगा, तो ये सर्जरी अधिक सटीकता, कुशलता और सर्जरी के दौरान बेहतर दृश्यता के साथ की जाएंगी, जिससे अंततः क्लिनिकल परिणामों में सुधार होगा।

Previous articleबांझपन से जूझ रहे जोड़ो के लिए IVF आशा की किरण: डा नयना पटेल
Next articleKgmu : 30 वर्षों से संचालित निजी मेडिकल स्टोर पर ताला जड़ा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here