लखनऊ। अभी भी लैप्रोस्कोपी तकनीक को नये मेडिकल छात्र में तमाम भ्रम रहते है। इसके लिए एमबीबीएस के छात्रों को लैप्रोस्कोप से सर्जरी के लाभ आैर गहनता से अध्ययन कराना चाहिए। ऐसे में जब एमबीबीएस पास होने के बाद पीजी या फिर सुपर स्पेशियालिटी स्टडी करेगा तो इस प्रकार की सर्जरी में तकनीक अपडेट रहेगा। यह बात गोमती नगर के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित सर्जिलैप्कॉन 2019 में मलेशिया के डॉ. अनिल गांधी ने कही।
डॉ. गांधी ने कहा कि लैप्रोस्कोप से छोटे होल से जटिल सर्जरी भी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि अगर सटीक जानकारी हो तो लेप्रोस्कोप तकनीक से सर्जरी से छोटे से छोटे अंग, ट्यूमर व क्षतिग्रस्त नसों की ठीक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि गुर्दे की पथरी की सर्जरी भी लैप्रोस्कोप तकनीक से हो रही हैं।
जनरल सर्जरी की विभाग प्रमुख डॉ. प्रियंका राय ने कहा कि कार्यशाला में 52 रेजिडेंट फैकल्टी ने वीडियो के माध्यम से अलग-अलग प्रकार की सर्जरी व उसमें प्रयोग होने वाली तकनीक को आपस में शेयर किया। इस दौरान रेजिडेंट डॉक्टरों को सम्मानित भी किया गया। इनमें डॉ. शौर्य प्रताप सिंह, डॉ. राजेंद्र राठौर समेत अन्य रेजिडेंट शामिल है। कार्यशाला में एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. महेश चन्द्र मिश्र, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एसएए रिजवी के अलावा राजधानी के सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सर्जन मौजूद थे।
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