सूर्य ग्रह का मानव जीवन पर प्रभाव

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लखनऊ। द टाइम्स ऑफ एस्ट्रोलॉजी के तत्वावधान में सोमवार को कुर्सी रोड स्थित श्री सनातन आश्रम में ‘सूर्य ग्रह का मानव जीवन पर प्रभाव” पर गोष्ठी का आयोजन किया, इसमें आचार्य दिनेश ने बताया कि सौर्यमण्डल में नौ ग्रह है, सूर्य इसमें प्रधान हैं। सूर्य समस्त ग्रह एवं नक्षत्र मण्डल के अधिष्ठाता तथा काल के नियन्ता है। ग्रहों में कक्षा चक्र के अनुसार सूर्य के ऊपर मंगल, गुरू तथा शनि है और नीचे क्रमश: शुक्र, बुध तथा चन्द्र कक्षायें है।

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सूर्य सिद्वान्त का सर्वाधिक प्राचीन उल्लेख आचार्य वराहमिहिर ने किया है –

सूर्य-सिंह राशि के स्वामी, मेष के 10 अंश में स्थित होकर उच्च तथा तुला राशि में नीच के कहलाते हैं। इनका आकार ह्यस्व समवृत्त, वर्ण- क्षत्रिय, प्रकृति- पुरूष, संज्ञा- क्रूर, गुण- सत्व, रंग- लाल, निवास स्थान- देवालय, भूलोक एवं अरण्य, उदय प्रकार- पृष्ठोदय, प्रकृति- पित्त, दृष्टि- आकाष ओर तथा मुॅह पूर्व की ओर रहता है। ग्रहों में राजा, मगंल चन्द्र तथा गुरू से नैसर्गिक मित्रता, शुक्र तथा शनि से शत्रुता एवं बुध से उदासिनता है। सूर्य सिद्वान्त का सर्वाधिक प्राचीन उल्लेख आचार्य वराहमिहिर ने किया है।

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में सूर्य सिद्वान्त के गणित से ही पूर्व वैज्ञानिकता आयी और यही कारण था कि सूर्य सिद्धान्त के बाद प्राचीन सिद्धान्तों के नाम वही रहे। ज्योतिषाचार्य कृष्ण कुमार तिवारी ने बताया कि सूर्य के 12 भावों के प्रभाव को बताया कि लग्न मेष व प्रथम भाव में रहने पर व्यक्ति को अडियल व अंहकारी बनाता है द्वितीय भाव में रहने पर रहस्य पूर्ण होता है ऐसे जातक को समझना मुश्किल है।

ऐसा सूर्य परिवार से पृथक कराता है। तीसरे सूर्य सहास, वीरता व बहादुरी का प्रतीक है। चौथे स्थान पर सूर्य उच्च शिक्षा व सुख में वृद्धि करता है व चौथे भाव में हार्ट सम्बन्धी प्रोवलम भी देता है। पंचम भाव में सूर्य पुत्र तो देता ही है पर साथ में एक गर्भपात का भी योग बनाता है। छठे घर में सूर्य रोग, शत्रु अड़चन तो देता ही है साथ ही यह प्रतियोगिता के लिए सफलतादायक होता है। सप्तम भाव का सूर्य अच्छा नहीं कहा गया है, खराब ही फल देता है। आठवें भाव का सूर्य यात्राये में बहुत कराता है। समुद्र की गहरी जानकारी रखता है। नवें सूर्य धर्म भाव पिता का कारक है ज्ञान व उन्नति देता है, दशम् भाव का सूर्य राज कृपा का कारक होता है। एकादश भाव का सूर्य धन लाभ का फल देता है और बारहवे भाव का सूर्य कठिन परिश्रम के साथ ही सफलता देता है।

स्वामी सनातन श्री ने बताया कि बाहरी आन्तरिक्ष की तरह ही एक हमारे भीतर भी आन्तिरिक्ष है, हमें बाहरी व आन्तिरिक दोनांे आन्तिरिक्षों को पड़ना होगा,तभी हम ज्योतिष की गहराईयो में जा पायेगें। अगली गोष्ठी चन्द्र ग्रह का मानव जीवन पर प्रभाव पर 11 मार्च को होगी।

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