तब देश बहुत आगे था….

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लखनऊ। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा ने कहा कि तमाम प्रकार के शोध बीमारियों को दूर करने और उनके कारणों का पता लगाने के लिए किया जाता है। देश अपने प्राचीन काल से चिकित्सा जगत में बहुत आगे था। यहा प्राचीन काल सहित मध्य युगीन भारत में लोगों की औसत आयु ज्यादा थी। वह शनिवार को होटल क्लार्क अवध में आयोजित दो दिवसीय आस्टियो आर्थराइटिस के राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे।

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कार्यशाला में डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि आस्टियोपोरोसिस बुजुर्ग लोगों की बीमारी कही जाती थी, पर यह कम उम्र के लोगों में भी होने लगी है। यह बीमारी में सबसे बड़ा कारण कम शारीरिक कार्य और खानपान है। अगर संतुलित खानपान के साथ शारीरिक श्रम किया जाए और अपने वजन को नियंत्रित रखा जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है।
कार्यक्रम में प्रो. जेवी सिंह ने बताया कि अगर हम अपना वनज नियंत्रित रखें तो इस तरह की बीमारियों से बचा जा सकता हैं। यह एक जीवनचर्या से जुड़ी बीमारी है।

हड्डी रोग विशेषज्ञ प्रो आरएन श्रीवास्तव ने बताया कि समय- समय पर विटामिन डी के सेवन करने से ऑस्टियो आर्थराटिस से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर शुरु आती दौर में इलाज किया जाए तो बीमारी से मुक्ति मिल सकती है।
कार्यक्रम में प्रो विनिता दास ने बताया कि इस बीमारी के उपचार के लिए बहुत सारी शोध की अवश्यकता है। इस तरह के कांग्रेस का अयोजन होते रहना चाहिए जिससे विभिन्न प्रकार की नई जानकारियों को साझा किया जा सके और इस बीमारी से लड़ने में मदद मिल सके।

प्रो. एसके दास ने बताया कि घुटनों की ऑस्टियों आर्थराइटिस के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है विशेष रूप से बुजुर्गो और मोटे व्यक्तियों यह बीमारी अधिक होती है। श्री दास ने बताया कि घुटनों में काफी दर्द होने लगता है। इसमें फिजियोथेरेपी और दवाओं के उपयोग से थोड़े समय के लिए आराम दिया जा सकता है। इस बीमारी में पूर्ण रूप से दूर करने के लिए घुटनों का प्रतिस्थापन एक तरीका है। किन्तु इसमें ज्यादा खर्चा आता है और हर समय यह सफल होने की गारण्टी भी नहीं होती है। अब इसके उपचार के लिए आधुनिक तकनीक स्टेमसेलथेरेपी के द्वारा घुटनों के कार्टिलेज का उपचार कर उसको पुनः पूर्ववत स्थिति में लाया जा सकता है।

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